MP : देश में महिला आरक्षण विधेयक पूर्ण रूप से लागू होने के बाद बुंदेलखंड में बदलेगी स्थति
MP : देश में महिला आरक्षण विधेयक पूर्ण रूप से लागू होने के बाद भविष्य में बुंदेलखंड में विधानसभा सीटों का गणित बदल जाएग। वर्तमान में मौजूदा 26 विधानसभा सीटों में से करीब 8 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। बता दें कि फिलहाल सागर संभाग की इन विधानसभा सीटों में केवल इकलौती पथरिया से महिला विधायक हैं। पार्लियामेंट में महिला आरक्षण विधेयक पेश होने और लोकसभा में पास होने के बाद संभावना बढ़ गई है कि जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा। महिला आरक्षण लागू होने के बाद पूरे देश में लोकसभा-विधानसभा सीटों की स्थिति बदलेगी। बता मप्र के बुंदेलखंड की करें तो सागर संभाग के अधीन छह जिलों में फिलहाल 26 विधानसभा सीटें हैं। इनमें केवल दमोह जिले की पथरिया से एकमात्र महिला विधायक रामबाई हैं। बता दें कि वे बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं। बुंदेलखंड में ऐसा होगी महिला आरक्षण लागू होने के बाद की स्थिति
सागर संभाग के तहत सागर, दमोह, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले आते हैं। सूबे में कुल 26 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें सबसे ज्यादा सागर जिले में 8 हैं। महिला आरक्षण बिल पास होने और लागू होने के बाद यहां स्थिति काफी बदल जाएगी। कारण 26 में से कम से कम 8 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इस लिहाज से 8 महिला विधायक तो 18 पुरुष विधायक होंगे। वहीं मप्र में कुल 230 विधानसभा सीटों में से करीब 76 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
सागर जिले में कम से कम 2 या 3 सीटें रहेंगी
बात सागर जिले की करें तो विधानसभा की कुल 8 सीटों में से 2 या तीन सीटें महिलाओं के खाते में चली जाएंगी। पूर्व में सागर, सुरखी, बीना से महिला विधायक रह चुकीं हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नरयावली से महिला को टिकट दे सकती है। हालांकि अभी जिले में किसी भी भी पार्टी से स्थिति स्पष्ट नहीं है। उधर भाजपा ने छतरपुर में पूर्व मंत्री ललिता यादव का टिकट डिक्लेयर कर दिया है।
पॉलिटिकल समीकरण बदलेंगे, दिग्गजों को बदलना होगा क्षेत्र
महिला आरक्षण लागू होने के बाद सागर सहित पूरे बुंदेलखंड में स्थिति बदलेगी। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत कांग्रेस और भाजपा के कद्दावर नेताओं को हो सकती है। कारण वर्तमान में विधानसभाओं को गढ़ बना चुके पुरुष नेताओं, मंत्रियों और कद्दावरों को विकल्प के रूप में दूसरी सीट पर बदलनी पड़ सकती है। लेकिन यह तय है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टी भाजपा और कांग्रेस में फिलहाल तक उपेक्षित चल रही महिला नेत्रियों को माननीय बनने का मौका जरूर मिलेगा और पार्टी से लेकर सदन तक राजनीतिक दबदबा तो बढ़ेगा ही इनकी पूछपरक जरूर बढ़ेगी।