पटाखों से बढ़े प्रदूषण पर NGT में अवमानना याचिका, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने उठाई कार्रवाई की मांग
भोपाल। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने दीपावली के दौरान पटाखों से बढ़े प्रदूषण के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में अवमानना याचिका दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए प्रदेश में अवैध पटाखों का इस्तेमाल हुआ, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण बढ़ा।
मंच के संयोजक डॉ. पीजी नाज पांडे ने याचिका में बताया कि दीपावली की रात और उसके बाद के दिन पटाखों से हुए प्रदूषण के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो गया था। उन्होंने कहा कि देर रात तक प्रतिबंधित पटाखों का इस्तेमाल हुआ, जिसमें फर्जी ग्रीन पटाखे, सुतली बम और लड़ी बम शामिल थे। इस आदेश की सबसे ज्यादा अनदेखी इंदौर, उज्जैन, भोपाल, जबलपुर, और ग्वालियर में देखने को मिली।
एनजीटी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग
डॉ. पांडे ने याचिका में एनजीटी से आग्रह किया कि वह एनजीटी एक्ट की धारा 25 के तहत स्वयं कार्रवाई करे, या फिर अपने आदेश जिला अदालतों को भेजकर उन्हें कार्रवाई करने का निर्देश दे। उन्होंने धारा 28 के अंतर्गत संबंधित जिलों के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों पर भी सख्त कार्रवाई कर पेनाल्टी लगाने की मांग की, ताकि भविष्य में ऐसे उल्लंघन रोके जा सकें।
महानगरों में बढ़ता प्रदूषण
याचिका में बताया गया कि जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन जैसे प्रमुख शहरों में पिछले तीन वर्षों से दीपावली पर पटाखों की वजह से प्रदूषण में लगातार वृद्धि हुई है। एनजीटी ने पूर्व में इन शहरों के कलेक्टरों को प्रदूषण कम करने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ, जिससे प्रदूषण नियंत्रण में विफलता स्पष्ट होती है।
एडवोकेट प्रभात यादव का बयान
एडवोकेट प्रभात यादव ने कहा, “पटाखों की न तो उचित जांच हुई, न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई की गई, जिसके चलते प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई। इससे जनता के मूलभूत अधिकारों का हनन हुआ है।” उन्होंने भी एनजीटी से तत्काल कार्रवाई की अपील की है।
दीपावली के बाद प्रदूषण में वृद्धि
दीपावली के बाद मध्यप्रदेश के कई बड़े शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। ग्वालियर के डीडीनगर में AQI 408, इंदौर के ग्वाल टोली में 404, भोपाल में 314, जबलपुर में 315, रतलाम में 370, उज्जैन में 322 और देवास में 316 दर्ज किया गया। यह सभी स्तर खतरे के निशान से ऊपर हैं। हालांकि, कुछ शहरों में हवा की गति अधिक होने से वायु प्रदूषण में थोड़ी कमी आई।