नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा कर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 5 साल की कैद और जुर्माना
सागर। नाबालिग को बहला-फुसलाकर ले जाने वाले एवं उसके साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी संतोष लोधी को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, तथा पाक्सो एक्ट की धारा-6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा- 3(2)(व्ही-ए) के तहत पॉच वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा- 3(2)(व्ही) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है।
न्यायालय द्वारा बालिका के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4 लाख रुपये दिये जाने का आदेश दिया गया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/पीड़िता के पिता ने दिनांक 13.03.2022 को थाना विनायका में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनॉक 12.03.2022 को वह उसकी पत्नी एवं उसकी लड़की /पीड़िता रात्रि मे खाना खाकर सो रहे थे दिनॉक 13.03.2022 के रात्रि 2ः00 बजे उसकी नींद खुली तो उसे बालिका/पीड़िता नहीं मिली उसने अपनी पत्नी को जगाया और बालिका को आस-पास एवं रिष्तेदारों में पीड़िता की तलाष की लेंकिन उसका कोई पता नहीं चला। पीड़िता के पिता ने अज्ञात व्यक्ति द्वारा बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। दिनॉक 01.04.2022 को बालिका के दस्तयाब होने पर उसने अपने कथन में बताया कि अभियुक्त संतोष लोधी बहला-फुसलाकर उसे मड़वरा ले गया था और वहीं पर अभियुक्त द्वारा उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाये गये। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-विनायका द्वारा धारा- 366, 376,376(2)(द) भा.दं.सं. एवं धारा 5एल/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही) अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 198 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।