दुष्कर्म के आरोपी को दोहरा आजीवन कारावास एवं जुर्माना से दंडित
सागर । विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दुष्कर्म करने वाले आरोपी मोहन लोधी थाना-मालथौन को भा.द.वि. की धारा-376 (डी) के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा-366 के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं आरोपी गुटई उर्फ गोपाल लोधी व आरोपी रविंद्र लोधी थाना-बांदरी को दोषी करार देते हुये भा.दवि की धारा- 376;क्द्ध के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 1000/-रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है एवं एक अन्य आरोपी को दोषमुक्त किया। उक्त मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक(अभियोजन) धमेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पटैल ने की ।
घटना का विवरण संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 25.02.2018 को अभियोक्त्री थाना-बांदरी, में रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 25.02.2018 की दरम्यिानी रात को करीब 12-1 बजे की बात है, गांव मंे मंदिर पर कार्यक्रम चल रहा था, वह और उसकी चचेरी बहन बाथरूम के लिये झाड़िया में पीछे गये थे, वहां पर अंधेरा था, तभी झाड़ियों के पीछे आरोपीे मोहन लोधी, गुटई लोधी, रविन्द्र लोधी और एक अन्य आदमी जिसे मोहन कुवंरजू उर्फ अमित अहिरवार कह रहा था, उक्त चारों ने मिलकर उसे और उसकी चचेरी बहिन को पकड़ लिया, उसे अमित ने पकड़कर उसका मुंह दबा लिया था और चिल्लाने पर गले पर लात रखकर मार डालने की धमकी दी थी तभी मेरी बहिन रविन्द्र से छूटकर भाग गई। वो चारों लोग मुझे पकड ़कर जंगल में उपर ले गये और उसे नीचे जमीन पर गिरा दिया, जिससे उसके दाहिने हाथ की कोहनी पर चोट भी आई, फिर उसके साथ जबरजस्ती बुरा काम किया व मोहन ने मोबाईल से उसकी फोटो खींची, फिर मोहन ने भी उसके साथ जबरजस्ती गलत काम किया। तब मेरी बहिन गांव से अपने जीजा और व अन्य गांव वालों को भी बुला लाई ,तब अभियुक्त गण भाग गये थे। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-बांदरी जिला-सागर द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा-, 366 , 376(क्), 323, 354, 506 (भाग-2), लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 5 ( ह ) सहपठित धारा 6, 9 ( ह ) सहपठित धारा 10 व धारा 14 तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा धारा 3(1)(त)(दोबार), 3(2)(अ)(दो बार), 3(2)(अ) व 3(1);ूद्ध;प)(दो बार) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67(ठद्ध;इद्ध का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी मोहन लोधी थाना-मालथौन को भा.द.वि. की धारा-376(डी) के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं भा.द.वि. की धारा-366 के संबंध में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3;2द्ध;अद्ध के तहत आजीवन कारावास एवं 2000/-रूपये अर्थदण्ड एवं आरोपी गुटई उर्फ गोपाल लोधी व आरोपी रविंद्र लोधी थाना-बांदरी को दोषी करार देते हुये भा.दवि की धारा- 376;क्द्ध के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 1000/-रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है एवं एक अन्य आरोपी को दोषमुक्त किया।