भाई ने ही ले ली भाई की जान – सागर के बंडा हत्याकांड में आरोपी को उम्रकैद

भाई ने ही ले ली भाई की जान – सागर के बंडा हत्याकांड में आरोपी को उम्रकैद

सागर (मध्यप्रदेश)। पारिवारिक विवाद ने एक परिवार को ऐसा जख्म दिया, जो कभी नहीं भर पाएगा। सागर जिले के बंडा थाना क्षेत्र में अपने ही छोटे भाई की हत्या करने वाले आरोपी घस्सी उर्फ घासीराम (40) को अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने उस पर 1,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

क्या है पूरा मामला ?

घटना 17 अक्टूबर 2022 की है। रात करीब 10 बजे दलपतपुर निवासी आरोपी घस्सी का अपने छोटे भाई धर्मेंद्र अहिरवार (35) से पैसों के विवाद को लेकर झगड़ा हुआ। बहस ने इतना उग्र रूप लिया कि घस्सी ने डंडे से धर्मेंद्र पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

हत्या के बाद आरोपी ने शव को छिपाने की कोशिश की और उसे बालझिर तालाब के पास एक पानी से भरे गड्ढे में फेंक दिया।

शिकायत और जांच का सिलसिला

अगले दिन 18 अक्टूबर 2022 को मृतक के मामा के बेटे मुन्नालाल अहिरवार ने बंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि उसका भाई धर्मेंद्र रात से गायब है। पुलिस ने जब तालाब क्षेत्र में खोजबीन की तो गड्ढे में शव मिला, जिसके पूरे शरीर पर नीले और काले गहरे निशान थे।

पुलिस ने तत्काल मर्ग कायम कर जांच शुरू की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि धर्मेंद्र की मौत मारपीट के कारण आई गंभीर चोटों से हुई है।

जघन्य अपराध, कोर्ट का सख्त रुख

इस मामले को शासन ने जघन्य और सनसनीखेज अपराधों की श्रेणी में रखा था। शासन की ओर से पैरवी वरिष्ठ एडीपीओ ताहिर खान ने की। सुनवाई के दौरान पेश साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने घस्सी उर्फ घासीराम को दोषी करार दिया।

विशेष न्यायालय ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई, जो यह दर्शाता है कि अब कानून पारिवारिक संबंधों में हुए अपराधों को भी गंभीरता से ले रहा है।

सबक और सवाल

यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि उन रिश्तों का टूटना है जो भरोसे की डोर से जुड़े होते हैं। कोर्ट का यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि कानून के हाथ लंबे हैं और किसी भी अपराध के लिए माफी नहीं मिलेगी – चाहे वह अपने ही खून से जुड़ा क्यों न हो।

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