जघन्य अपराधों में दोषियों को सजा दिलाने के लिए सख्त हुई पुलिस: सागर समेत संभाग के एसपी को दिए गए विशेष लक्ष्य

जघन्य अपराधों में दोषियों को सजा दिलाने के लिए सख्त हुई पुलिस: सागर समेत संभाग के एसपी को दिए गए विशेष लक्ष्य

सागर। अब जघन्य और सनसनीखेज अपराधों में दोषियों के बच निकलने की संभावना बेहद कम होगी। पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) ने इसके लिए नई सख्त व्यवस्था लागू की है। इसके तहत मध्यप्रदेश के सभी जिलों के एसपी को गंभीर अपराधों की मॉनीटरिंग कर दोषियों को सजा दिलाने का लक्ष्य सौंपा गया है।

सागर जिले को इस दिशा में विशेष रूप से सक्रिय किया गया है। सागर मप्र के बड़े जिलों में शामिल है, इसलिए यहां के एसपी को कम से कम 40 गंभीर मामलों को चिन्हित कर सतत निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।

संभाग के अन्य जिलों के लिए भी तय किए गए लक्ष्य
जानकारी के मुताबिक, पुलिस मुख्यालय भोपाल ने सागर के अलावा दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर और पन्ना जिलों के एसपी को 20-20 अपराध चिन्हित कर उनकी मॉनीटरिंग करने को कहा है। वहीं निवाड़ी जिले के एसपी को 5 मामलों की निगरानी का लक्ष्य मिला है।

इंस्पेक्टर और एसआई स्तर के अफसर होंगे नोडल अधिकारी
हर चिन्हित मामले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो कम से कम सब इंस्पेक्टर या इंस्पेक्टर रैंक का होगा। इन अधिकारियों की जिम्मेदारी रहेगी कि वे एफआईआर से लेकर चालान पेश होने और न्यायालय में सुनवाई तक हर स्तर पर निगरानी करें। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि गवाहों पर दबाव न पड़े और सबूत मजबूत बने रहें।

पीएचक्यू का स्पष्ट निर्देश: पुलिस की जवाबदेही कोर्ट तक
पीएचक्यू का कहना है कि अब पुलिस की जिम्मेदारी केवल जांच तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अभियोजन की प्रक्रिया में भी कानूनी सहयोग देना होगा। इसका मकसद है कि दोषियों को हर हाल में सजा दिलाई जा सके।

आईजी प्रमोद वर्मा बोले – व्यवस्था से बढ़ेगा दोषसिद्धि प्रतिशत
इस पहल पर सागर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा ने कहा, “यह एक अच्छी व्यवस्था है। इससे पुलिस की जवाबदेही थाने से लेकर न्यायालय तक सुनिश्चित होगी। इस तरह के मामलों में दोषसिद्धि का प्रतिशत पहले से ही अच्छा रहता है, लेकिन इस नई प्रणाली से यह और बढ़ेगा। पुलिस के मैदानी अमले से लेकर उच्च अधिकारियों तक की भूमिका अब और अहम हो गई है।”

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