सागर। लेदरा नाका के आगे नए बस स्टैंड के पास पंचम दिवस की कथा में पूज्य जगद्गुरू रामस्वरूपाचार्य जी महाराज ने बताया कि भगवान श्री राम के विवाह के बात महाराज दशरथ जी ने विचार किया की अब राम को क्यों न राजा बनाया जाए तब राम जी बात को समझ गए तब राम जी ने विचार किया कि मैं राजा बनने थोड़ी आया हू मै तो रक्षासो का विनाश करने के लिए आया हू लेकिन पिता जी से कौन कहे तब राम जी ने विचार किया कि मां कैकेई मुझसे बहुत प्रेम करती है और मां कैकेई ही मेरे कार्य को पूर्ण करा सकती है भगवान मां कैकेई के पास गए और बोले मां तू मुझसे कितना प्रेम करती है।
मां कैकेई ने कहा राम मै तुझसे कितना प्रेम करती हूं इसका कोई वर्णन नही लेकिन क्यों पूछ रहा है राम जी ने कहा मां आपसे कुछ मागने आया हू क्या चाहिए राम राम जी ने कहा मां इस तरह नही फिर कैसे आप मेरे सर में हाथ रखके सौगंध खाओ तब मां कैकेई ने राम जी के सिर में हाथ रखके सौगंध खाया तब राम जी ने कहा मां पिता जी चाहते है की मै राजा बनू कैकेई जी ने कहा राम ये तो बहुत ही सुंदर है राम जी ने कहा मां मै राजा नही बनना चाहता फिर राम जी ने कहा मैं जंगल जाना चाहता हू 14 वर्ष के लिए आप मेरा साथ दो मां कैकेई ने कहा राम मुझे छोड़ के जायेगा राम जी ने कहा मां आप मेरा शोगंध खाई हो मां कैकेई ने कहा राम मै तेरे साथ हू कहने का तत्पर केवल ये है कि मां कोसिल्या ने राम रूपी व्यक्ति को जन्म दिया है तो मां कैकेई ने राम रूपी व्यक्तित्व को जन्म दिया है।