जंगल में वन्यजीवों के शिकार का मामला: वन विभाग की लापरवाही या साजिश ?
पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में जंगलों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। उत्तर वन मंडल के मैदानी अमले की सजगता और जांबाजी की चर्चा के बीच कुड़रा जंगल में करंट लगाकर वन्य जीवों के शिकार का मामला सामने आया है। इस घटना ने वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।
बुधवार, 12 मार्च 2025 को धरमपुर निवासी एक व्यक्ति अपनी गुमशुदा भैंस की तलाश में कुड़रा जंगल पहुंचा, जहां उसने एक नीलगाय का शव और एक अन्य वन्य जीव का कंकाल देखा। वहां से उठ रही भीषण दुर्गंध और शवों की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया गया कि इनकी मौत करीब एक सप्ताह पहले हुई होगी। प्रत्यक्षदर्शियों ने इस घटना के वीडियो और तस्वीरें बनाकर मीडियाकर्मियों को भेजी, जो वायरल हो गईं।
घटना की सूचना मिलने के बाद मामले को उत्तर वन मंडल के डीएफओ गर्वित गंगवार, एसडीओ दिनेश गौर और धरमपुर रेंजर वैभव सिंह चंदेल तक पहुंचाया गया। अधिकारियों ने मौके पर टीम भेजकर जांच की बात कही। लेकिन जब वन विभाग की टीम 5 घंटे बाद मौके पर पहुंची, तो वहां से शव और कंकाल गायब थे!
मामले में आया चौंकाने वाला ट्विस्ट
वन विभाग ने इस पूरे मामले को ही नकार दिया और कहा कि जंगल में ऐसा कोई घटनाक्रम नहीं मिला। लेकिन सवाल यह उठता है कि प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा भेजे गए वीडियो और तस्वीरों में जो साफ तौर पर मरे हुए वन्य जीव नजर आ रहे थे, वे अचानक कहां गायब हो गए? क्या शवों को किसी ने जानबूझकर हटवा दिया?
वन विभाग की भूमिका संदिग्ध
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जब उन्होंने घटना की जानकारी वन विभाग को दी, तो अधिकारियों ने मौके पर पहुंचने में लापरवाही बरती। घटना की जानकारी देने के पांच घंटे बाद जब वन अमला मौके पर पहुंचा, तब तक शव गायब हो चुके थे। सवाल यह भी उठता है कि जब वन अधिकारियों के पास सबूत के तौर पर वीडियो और तस्वीरें थीं, तो उन्होंने इनकी सच्चाई को जांचने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया?
इसके अलावा, सूत्रों का कहना है कि जब यह मामला मीडिया में आया, तो कुछ वन कर्मी इसे दबाने और मीडिया मैनेजमेंट की कोशिश में जुट गए। अगर सच में ऐसा कुछ नहीं हुआ था, तो वन विभाग के अफसर इसे दबाने के लिए इतने चिंतित क्यों थे?
क्या पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं?
यह पहली बार नहीं है जब पन्ना जिले के जंगलों में वन्यजीवों के शिकार का मामला सामने आया हो। इससे पहले विश्रामगंज रेंज के सीमावर्ती इलाके में एक सांभर घायल अवस्था में मिला था। उस समय भी यह दावा किया गया था कि उसे किसी शिकारी ने गोली मारी थी, लेकिन वन विभाग ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
बड़ा सवाल: आखिर सच्चाई क्या है?
यह मामला अब रहस्य बन चुका है। क्या यह सच में वन्यजीवों के शिकार का मामला था, जिसे दबा दिया गया? या फिर यह किसी और वजह से फैलाई गई अफवाह थी? इन सवालों के जवाब देना वन विभाग की जिम्मेदारी बनती है। अगर शिकार की घटना हुई थी, तो इसके पीछे कौन है? और अगर यह झूठी खबर थी, तो वायरल वीडियो और तस्वीरें कहां से आईं?
वन विभाग को इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए और घटना की सच्चाई को सामने लाना चाहिए। अन्यथा, जंगलों की सुरक्षा पर उठे सवालों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।