महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर हुआ बुंदेलखंड में मंदिर का निर्माण, महाशिवरात्रि पर होगा नवशिवरात्रि का आयोजन

महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर हुआ बुंदेलखंड में मंदिर का निर्माण, महाशिवरात्रि पर होगा नवशिवरात्रि का आयोजन

अगर किसी कारण से उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, तो सागर शहर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर भगवान महाकाल के दर्शन कर सकते हैं

बुंदेलखंड के महाकाल

सागर। बुंदेलखंड में महाकाल मंदिर सागर नेशनल हाईवे 44 पर बांदरी कस्बे के पास खेजरा धाम में महाकाल मंदिर की प्रतिकृति तैयार की गई है। मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम दौर में हैं और अब यह इलाका महाकाल धाम खेजरा के नाम से प्रसिद्ध है। यहां महाकाल मंदिर की तरह शिवलिंग के दर्शन होंगे। महाकाल मंदिर की तरह प्रवेश द्वार बनाया गया है गर्भ गृह में महाकाल मंदिर की तरह वास्तु रखा गया है इसके अलावा गर्भगृह में भगवान महाकाल के साथ- साथ मां गौरी, प्रथम पूज्य गणेश और भगवान कार्तिकेय भी स्थापित किए गए हैं।

बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर निर्माण कार्य की तैयारियां


इस मंदिर की खास बात ये है कि, मंदिर का निर्माण कार्य सिर्फ पुष्य नक्षत्र में किया जाता है बाकी 27 दिन मंदिर के निर्माण कार्य की तैयारियां चलती रहती हैं अब तक 108 पुष्य नक्षत्र में मंदिर का निर्माण किया गया है पहली बार मंदिर में महाशिवरात्रि का आयोजन हो रहा है।

मंदिर में नंदी महाराज, पं महेश तिवारी की तपस्या का परिणाम

सागर के छोटे से गांव खेजरा में भगवान महाकाल मंदिर की प्रतिकृति तैयार करने की तपस्या पंडित महेश तिवारी ने की है। पंडित महेश तिवारी को विरासत में धर्म और अध्यात्म की शिक्षा मिली है उन्होंने तीन विषयों से एमए करने के बाद समाजशास्त्र में पीएचडी की, कई सरकारी नौकरी करने के बाद भी उनका मन नहीं लगा और सब कुछ छोड़ कर अपने गांव वापस आ गए और महाकाल की सेवा में जुट गए। उज्जैन में भगवान महाकाल के दरबार में सालों समय बिताने के बाद उनके मन में विचार आया कि क्यों न अपने गांव में महाकाल मंदिर की तर्ज पर ही मंदिर का निर्माण कराया जाए और फिर उन्होंने 2015 में मंदिर निर्माण का काम शुरू किया। मंदिर करीब 2 एकड़ जमीन पर बना हुआ है मंदिर के निर्माण में भक्त गणों ने भी काफी सहयोग किया है। मंदिर निर्माण होने के बाद 2022 में अक्षय तृतीया के दिन महाकाल की वैदिक मंत्रों से प्रतिष्ठा की गई है। तब से भक्त अक्षय तृतीया से यहां दर्शन भी कर रहे हैं।

महाकाल मंदिर की तर्ज पर निर्माण


खेजरा के महाकाल धाम में शिवलिंग, प्रवेश-निकास, दिशा और आकृति महाकाल मंदिर की तर्ज पर किया गया है. जिस तरह उज्जैन मंदिर में प्रवेश के लिए गुफानुमा रास्ते और दक्षिण दिशा से जाना पड़ता है, वैसे भी यहां प्रवेश के लिए तैयार किया गया है। महाकाल मंदिर की तरह खेजरा धाम में भी रूद्र सागर तालाब का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर की संरचना और आकृति भी महाकाल मंदिर की तरह है, मंदिर का प्रवेश द्वार भी महाकाल मंदिर की तरह बनाया गया है और गर्भ गृह भी वैसा ही बनाया गया है। मंदिर के बाहर की नक्काशी भी महाकाल मंदिर की तरह है अभी तक 52 फीट ऊंचा मंदिर बन चुका है, उज्जैन महाकल की तहर मंदिर के ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर भी बनेगा, जिसके साल में एक बार नाग पंचमी पर दर्शन होंगे।

रामराजा सरकार और कृष्ण दरबार के भी दर्शन


महाकाल धाम खेजरा के मंदिर परिसर में सिर्फ बाबा महाकाल के दर्शन ही नहीं बल्कि रामराजा सरकार और भगवान राधा-कृष्ण का दरबार भी यहां बनाया जा रहा है। मंदिर के बाई तरफ श्री राधा कृष्ण दरबार और दाईं तरफ रामराजा सरकार की स्थापना की गई है। इसके अलावा मंदिर परिसर में ही यज्ञशाला का निर्माण किया गया है। महाकाल मंदिर की तर्ज पर महाकाल उपवन भी लगाया गया है ।

पहली बार महाशिवरात्रि का आयोजन


यह पहला मौका होगा जब महाकाल धाम खेजरा में महाशिवरात्रि पर्व का आयोजन होगा जिसे नव शिवरात्रि नाम दिया गया है। पं. महेश तिवारी बताते है कि 24 फरवरी से महाशिवरात्रि का पर्व शुरू होगा भगवान के विवाह के सभी संस्कार वैदिक रीति रिवाज के साथ कराए जाएंगे। खेजरा धाम मंदिर महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को सुबह 4 बजे से भक्तों को दर्शन के लिए 28 फरवरी की रात 12 बजे से खुला रखा जाएगा। धाम के पुजारी ने बताया कि बांदरी से भगवान शिव की बारात खेजरा धाम के लिए प्रस्थान करेगी।
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