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किसी भी तहसील, ब्लॉक या गांव का परिसीमन करने से पहले उसकी भौगोलिक स्थिति देखी जाएगी- शुक्ला

किसी भी तहसील, ब्लॉक या गांव का परिसीमन करने से पहले उसकी भौगोलिक स्थिति देखी जाएगी- शुक्ला

सागर। प्रशासनिक पुनर्गठन का उद्देश्य जनोन्मुखी सुलभ प्रशासन हो एवं कोई भी नई तहसील ब्लॉक या ग्राम पंचायत बनाते समय उसकी सीमा जिले में शामिल करने से पहले उस स्थान की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, स्ट्रक्चर मूलभूत सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जावे। उक्त निर्देश आयोग के सदस्य श्री मुकेश शुक्ला ने सागर कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में आयोजित प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग की बैठक में दिए। इस अवसर पर प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के सचिव श्री अक्षय सिंह, संभाग कमिश्नर डॉ वीरेंद्र सिंह रावत, कलेक्टर श्री संदीप जी आर, अपर कलेक्टर श्री रुपेश उपाध्याय, ज्वाइंट कमिश्नर श्री विनय द्विवेदी, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती जूही गर्ग, संयुक्त कलेक्टर श्रीमती आरती यादव एवं समस्त अनुविभागीय राजस्व अधिकारी एवं तहसीलदार उपस्थित थे।

अध्यक्ष श्री मुकेश शुक्ला ने बैठक में सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारी एवं तहसीलदारों को निर्देश दिए कि वह किसी भी प्रशासनिक इकाई के पुनर्गठन से पहले जनप्रतिनिधियों एवं जनता से फीडबैक लेकर आपस में समन्वय स्थापित करके राजस्व सीमाओं के पुनर्गठन का प्रस्ताव कलेक्टर को प्रेषित करें। कलेक्टर सभी प्रस्ताव पर विचार करके अपने सुझाव एवं निर्णय से आयोग को अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि पुनर्गठन के पूर्व जनप्रतिनिधियों एवं सभी विभाग अधिकारियों से अलग अलग चर्चा की जाए चर्चा के दौरान बिजली पानी सड़क शिक्षा स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रख जावे साथ में आम व्यक्तियों से भी चर्चा की जाए।

श्री शुक्ला ने बताया कि जनपद एवं तहसील की सीमाओं का परिसीमन किया जाना है लेकिन यदि परिसीमन की आवश्यकता नहीं है तो परिसीमन नहीं किया जाएगा। परिसीमन को और अधिक जनोन्मुखी बनाया जाएगा ताकि इसके आधार पर जन अपेक्षा के आधार पर ज्यादा से ज्यादा जनता को सुविधा दिलाई जा सके। नवीन प्रशासनिक इकाई के लिए मार्गदर्शन सिद्धांत बनाए गए हैं। वर्तमान में ऐसे कई तहसील एवं ब्लॉक तथा ग्राम पंचायत है जो जिला मुख्यालय से दूर है लेकिन दूसरे अन्य जिले के समीप है, ऐसे प्रशासनिक इकाइयों में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। गतमाह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में तत्संबंध में बैठक भी आयोजित की गई थी। प्रत्येक जिले के कलेक्टर को जनप्रतिनिधि एवं आम जनता सुझाव देगी कि कैसे सीमाओं का निर्धारण कहां पर एवं किस मान से किया जाना उचित रहेगा। कलेक्टर उसे अपडेट करेंगे।

श्री शुक्ला ने कहा कि यदि भौगोलिक गठन चाहते हैं तो बताना पड़ेगा कि कुछ तहसील एवं गांव तहसील या जिले से दूर है या अन्य किसी दूसरे जिले के करीब है। दूरी के मापदंड भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि नए परिसीमन में यह आवश्यक रूप से देखा जाएगा कि जनसंख्या का संतुलन हो। यदि, हम कोई जिला बना रहे हैं तो वहां यदि जनसंख्या कम है एवं सुविधाएं नहीं है तो इसका कोई लाभ नहीं है। वहीं कई बार कुछ जगह पर जनसंख्या ज्यादा रहती है एवं औद्योगिक विकास भी है लेकिन हम उसे तहसील या जिला का दर्जा नहीं दे सके हैं या घोषित नहीं कर सके हैं तो नए प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन में यह सभी बातें शामिल की जाएगी। साथ ही स्थानीय भाषा संस्कृति को आवश्यक रूप से संरक्षण भी दिया जाएगा।

श्री शुक्ला ने कहा कि यदि किसी स्थान को हम मुख्यालय बनाना चाहते हैं तो जनसंख्या, औद्योगिक क्षेत्र एवं भौगोलिक दूरी उसकी अन्य क्षेत्र से ना हो इसका अनिवार्य रूप से ध्यान रखा जाएगा। इसके साथ ही प्रस्तावित इकाइयों को सुविधा की दृष्टि से पुनर्गठन करने या गठन हटाने के संबंध में भी आवश्यक सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में प्रदेश संरचना का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।
श्री शुक्ला ने कहा कि यदि किसी जिले की सीमा की तहसील या ग्राम को किसी दूसरे जिले की सीमा में मिलना चाहते हैं तो उसके लिए संभाग कमिश्नर सुझाव देंगे और यदि जिले के अंदर तहसील में कोई परिवर्तन करना चाहते हैं तो इसका सुझाव कलेक्टर देंगे।

श्री शुक्ला ने स्पष्ट किया कि ग्राम स्तर पंचायत स्तर, राजस्व निरीक्षक मंडल स्तर, तहसील स्तर पर अनुविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें किसी भी प्रशासनिक इकाई का कोई युक्तियुक्तकरण, विलोपन, नवीन सर्जन किया जाना है तो उसका उचित प्रस्ताव तैयार कर प्रश्नावली को अद्यतन कर पृथक से शामिल कर कलेक्टर को भिजवाए जा सकेंगे। जिले की समस्त तहसीलों एवं अनु विभागों की बैठक के उपरांत कलेक्टर अपने स्तर पर अधीनस्थों से प्राप्त प्रस्ताव पर युक्तियुक्तकरण पर वृहद चर्चा कर उस प्रस्ताव को अंतिम रूप से तैयार कर एवं प्रश्नावली को अद्यतन कर आयोग को भेजेंगे। शुक्ला ने बताया कि कलेक्टर अपने प्रस्ताव तैयार करते समय जनप्रतिनिधि की राय भी लेंगे एवं पूर्व में किसी प्रशासनिक इकाई के युक्तियुक्तकरण में यदि कोई आवेदन या मांग पत्र आया हो तो जिला स्तर पर पेंडिंग हो तो उसे भी कलेक्टर विचार में लेंगे। यहां यह भी स्पष्ट किया जाता है कि यदि परिवर्तन या युक्ति युक्ति करण विलोपन, नवीन सृजन, आवश्यक नहीं है तो ना किया जाए लेकिन यदि कोई मांग इस संबंध में पूर्व से जन सामान्य की ओर से चली आ रही है तो उस पर विचार कर उसे मांग का परीक्षण अवश्य कर लिया जाए। जिला स्तर पर सभी विभागों के जिलाधिकारियों से भी चर्चा की जाए ताकि उनके विभागों की कार्य प्रणाली का भी मत आ सके। इन प्रस्ताव में मानव संसाधन की दक्षता या प्रशिक्षण या संस्थागत ढांचे की आवश्यकताओं पर भी विचार किया जाएगा। कलेक्टर समीक्षा उपरांत जिले का एक अंतिम प्रस्ताव बनाकर प्रश्नावली को अद्यतन करेंगे।

उन्होंने कहा कि टर्म्स आफ रेफरेंस 1 और टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस 3 के संबंध में जो प्रश्नावली तैयार की गई है उन प्रश्नावली के प्रश्नों के अतिरिक्त भी यदि कोई बिंदु है जो कलेक्टर उसे अपने प्रस्ताव में समावेश करना चाहेंगे तो वह कर सकते हैं। श्री शुक्ला ने कहा कि पुनर्गठन में नया राजस्व ग्राम एवं नई ग्राम पंचायत नया नगरीय निकाय का गठन न किया जावे।

आयोग सदस्य सचिव अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि पुनर्गठन में भौगोलिक स्थिति के साथ जन सुविधा को देखते हुए निर्णय लिए जाएं साथ्र में दी गई प्रश्नावली का उत्तर पूरे मनोयोग पारदर्शिता के साथ दिए जाएं एवं रिपोर्ट तैयार करते समय जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारियों, आम नागरिकों से सुविधाओं से संबंध में रायशुमारी की जाए।
संभाग कमिश्नर डॉ वीरेन्द्र सिंह रावत ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट समय सीमा में प्रस्तुत करें एवं पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ जनता के हितों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर सभी कार्य पूरे करें।

कलेक्टर संदीप जी आर ने कहा कि पुनर्गठन के पूर्व शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा, सचिव, सहायक सचिवों से भी चर्चा करें। आम नागरिकों की सुविधा को प्राथमिकता दी जावे। उन्होंने कहा कि युक्तियुक्तकरण के प्रस्ताव तर्कसंगत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कई विभागों के क्षेत्र को लेकर विसंगतियां हैं उन्हें भी दूर किया जाएगा। उन्होंने अध्यक्ष को आश्वस्त किया कि एक माह में सभी आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर आयोग को प्रेषित किए जाएंगे।

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