नाबालिग के साथ जबरन दुष्कृत्य करने वाले सौतेले पिता को उम्र कैद और अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग के साथ जबरन दुष्कृत्य करने वाले आरोपी सौतेले पिता को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-376(3) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा- 376(2)(के) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-506 (भाग-2) के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड तथा धारा-5(एल) सहपठित धारा-6 पॉक्सों एक्ट के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा धारा-5(एन) सहपठित धारा-6 पॉक्सों एक्ट के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है। न्यायालय द्वारा बालिका के पुर्नवास के लिये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/- (चार लाख रूपये) दिये जाने का आदेष दिया गया ।मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता/बालिका ने दिनांक 29.01.2022 को थाना मोतीनगर में रिपोर्ट लेख कराई कि उसके घर में उसकी दादी, मॉ, सौतेला पिता/अभियुक्त ,छोटी बहन व भाई रहते हैं। करीब 06 दिन पहले दिनांक 22.01.2022 रात करीब 9.30 बजे उसकी मॉ और दादी काम पर गये थे तथा वह, उसका भाई, बहन एवं उसका सौतेला पिता/अभियुक्त घर पर थे। वह सो रही थी तो उसका सौतेला पिता/अभियुक्त उसे उठाकर उसके साथ जबरदस्ती करने लगा। बालिका के मना करने पर अभियुक्त ने उसे जान से मारने की धमकी देकर जबरदस्ती उसके साथ बलात्कार किया। इसके पहले भी करीब 10-12 बार अभियुक्त ने जबरदस्ती बालिका के साथ बलात्कार किया है लेकिन डर के कारण उसने यह बात घर में किसी को नहीं बताई। फिर जब बालिका की मॉ काम से वापस आई तो उसने पूरी घटना उसकी मॉ और दादी को बताई। अभियुक्त ने बालिका की मॉ को उसके खिलाफ रिपोर्ट करने पर जान से मारने की धमकी दी थी इसलिए वे रिपोर्ट करने नहीं आये। फिर दिनांक 29.01.2022 को बालिका ने उसकी मॉ, उसके मौसाजी एवं पड़ोसी के साथ थाना में लिखित आवेदन पेश किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-मोतीनगर द्वारा धारा-376(3), 376(2)(एन), 506 भा.दं.सं. एवं धारा-3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।