सागर। पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया हैं जहाँ एक प्रोफेसर ने उच्च शिक्षा विभाग को वरिष्ठता सूची की जानकारी गलत देकर प्राचार्य का पद हासिल किया के आरोप लगे हैं। इसके बाद कॉलेज की सरकारी बैंक में बनी एफडी को विभाग की अनुमति के बगैर तोड़कर प्राइवेट बैंक में चालू खाता खुलवा लिया। इतना ही नहीं कॉलेज में सामान्य वर्ग के लिए खाली पद पर ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी की अनुकंपा नियुक्त कर दी गई जैसी अनियमितताएं मिली हैं
मामला सामने आने के बाद होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी गठित कर मामले की जांच कराई गई। कमेटी ने मुख्य चार बिंदुओं पर जांच कर प्रतिवेदन शासन को भेज दिया है। जिसमें कई अनियमितताएं सामने आई हैं। अब जांच प्रतिवेदन के आधार पर विभाग आगे की कार्रवाई करेगा।
यह है मामला
दरअसल, सागर के गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में पदस्थ हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉ. सरोज गुप्ता ने प्राचार्य बनने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी कर वरिष्ठता की सूची ही बदल दी। उन्होंने वरिष्ठता सूची भेजते समय कॉलेज में वरिष्ठता क्रम में स्वयं को दूसरे स्थान पर रखा। जबकि, हकीकत में वह वरिष्ठता के क्रम में 5 स्थान पर थी।
यह जानकारी भेजने के बाद वर्ष 2024 में उन्हें गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज का प्राचार्य की जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान उन्होंने अपने 6 माह के कार्यकाल में कुछ अनियमितताएं की है। जिनकी शिकायत विभाग में हुई। शिकायत मिलने के बाद विभाग ने मामले की जांच कराई है।
ऐसे हुई गड़बड़ी
वर्ष 2024 में कॉलेज के प्राचार्य का ट्रांसफर होने के बाद पद खाली था। प्राचार्य पद का चार्ज प्रोफेसर डॉ. सरोज गुप्ता को सौंपा गया। इसी दौरान उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज से वरिष्ठता सूची मांगी। विभाग के सूची मांगने पर प्रोफेसर सरोज गुप्ता ने सूची में गड़बड़ी कर स्वयं को वरिष्ठता क्रमांक-2 पर रख दिया। जबकि, रिकॉर्ड के अनुसार वह वरिष्ठता के क्रमांक में 5वें नंबर पर हैं।
वहीं पहले नंबर पर प्रोफेसर डॉ. गोपा जैन थी। उच्च शिक्षा विभाग ने वरिष्ठता के आधार पर डॉ. गोपा जैन के प्रभारी प्राचार्य बनाने की बात कही। लेकिन उन्होंने पद की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। जिसके बाद दूसरी नंबर पर मौजूद डॉ. सरोज गुप्ता को प्राचार्य पद सौंपा गया था।
वे करीब 6 महीने तक कॉलेज की प्राचार्य रहीं। जिसके बाद डॉ. जीएस रोहित का अग्रणी कॉलेज शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में ट्रांसफर हुआ और उन्होंने प्राचार्य पद की जिम्मेदारी संभाली।
पांचवें स्थान से स्वयं का नाम वरिष्ठता में दूसरे पर रखा कॉलेज की प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता पर लगे आरोपों पर जांच के लिए कमेटी गठित की गई। कमेटी में डॉ. एसी जैन और डॉ. बिंदु श्रीवास्तव को शामिल किया गया। उन्होंने मामले की जांच कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
शासन को भेजी गई जांच में रिपोर्ट में अभिमत दिया गया है कि दस्तावेज से स्पष्ट होता है कि वरिष्ठता सूची डॉ. सरोज गुप्ता ने स्वनिर्मित कर अतिरिक्त संचालक कार्यालय को भेजी थी। जिसमें स्वयं का नाम दूसरे नंबर पर रखा था। जबकि दस्तावेज व ई-आरसीट के अनुसार, वरिष्ठता क्रम में डॉ. सरोज गुप्ता महाविद्यालय में पांचवें स्थान पर आती हैं।
पहले स्थान पर डॉ. गोपा जैन, दूसरे पर डॉ. मधु स्थापक, तीसरे पर डॉ. रंजना मिश्रा, चौथे पर विनय शर्मा और पांचवें स्थान पर डॉ. सरोज गुप्ता है। इसके साथ ही डॉ. सरोज गुप्ता ने इंडियन ओवरसीज बैंक की दो एफडीआर को तोड़ना पाया गया जो कि 1-1 करोड़ रुपए की बनी थी।
एचडीएफसी बैंक में नया चालू खाता खोलना पाया गया। उक्त कार्य के लिए नोटशीट पर अध्यक्ष जनभागीदारी समिति से अनुमति ली गई। विभाग से अनुमति के लिए पत्र लिखा गया था। सोलर पैनल लगवाने खुली निविदा का प्रकाशन नहीं कराया
जांच में सामने आया कि तत्कालीन प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता ने अपने कार्यकाल में जनभागीदारी मद से 6.20 लाख किया गया। साथ ही अन्य लेन-देन की जांच की तो पता चला कि होटल वरदान के डॉ. पीआर चांदोलकर के नाम से बने बिलों का भुगतान महाविद्यालय द्वारा किया गया। इसके साथ ही महाविद्यालय में 6 लाख 49 हजार 500 रुपए का 10 केवी सोलर पैनल लगवाया गया। जिसके दस्तावेजों में खुली निविदा का प्रकाशन नहीं पाया गया है। उक्त क्रय और भुगतान से संबंधित दस्तावेज रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं।
ओबीसी अभ्यर्थी की सामान्य पद पर नियुक्ति की
जांच में सामने आया कि डॉ. सरोज गुप्ता ने महाविद्यालय में अन्य पिछड़ा वर्ग महिला भृत्य की अनुकंपा नियुक्ति की गई है। जबकि महाविद्यालय में सामान्य भृत्य महिला का पद खाली था। इस पद पर आवेदिका रूखसार मकरानी की अनुकंपा नियुक्ति की गई, जो दस्तावेज अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में आती है।
महाविद्यालय समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में स्पष्ट किया गया है कि महाविद्यालय कार्यालय द्वारा प्राप्त रोस्टर के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग भृत्य महिला का पद शासकीय महाविद्यालय रहली और राहतगढ़ में खाली है। उक्त महाविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला की भृत्य पद पर नियुक्ति की जा सकती थी। लेकिन ऐसा किया नहीं गया
जांच के दौरान फिर बनाया गया प्रभारी प्राचार्य
डॉ. सरोज गुप्ता पर पूर्व में प्रभारी प्राचार्य रहते हुए अनियमितताएं करने के आरोप लगे। उक्त आरोपों पर विभाग की जांच चल रही है। लेकिन जांच पूरी होने से पहले ही एक बार फिर डॉ. गुप्ता को कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डॉ. सरोज गुप्ता वर्तमान में पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में प्रभारी प्राचार्य के पद पर पदस्थ हैं। हालाही में डॉ. जीएस रोहित का तबादला होने के बाद उन्हें दोबारा प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है।
रिपोर्ट शासन को भेजी
उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी अतिरिक्त संचालक नीरज दुबे ने बताया कि जांच में वरिष्ठता सूची में गड़बड़ी, जनभागीदारी मद की राशि सरकारी बैंक से ट्रांसफर कर प्राइवेट बैंक में ट्रांसफर करना, अनुकंपा नियुक्ति जैसे बिंदु शामिल थे। उक्त मामले को लेकर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रश्न लगा है। जिसका जबाव बनाकर भेजा गया है।
विधानसभा में लगाया ध्यानाकर्षण प्रश्न
सागर के शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में हुए गड़बड़ी को लेकर विधानसभा में मुरैना से कांग्रेस विधायक दिनेश गुर्जर ने ध्यानाकर्षण प्रश्न लगाया है। प्रश्न के संबंध में अतिरिक्त संचालक कार्यालय से जवाब बनाकर भेजा गया है। साक्ष्यों के आधार पर तैयार किया गया जांच प्रतिवेदन
जांच समिति के प्रभारी एवं पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के प्राचार्य डॉ. एस.सी. जैन ने बताया कि अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा, सागर द्वारा दो सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। उन्होंने बताया कि तीन से चार बिंदुओं पर जांच की गई।
महाविद्यालय में जाकर तत्कालीन प्राचार्य एवं आरोपित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए। जांच में प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर प्रतिवेदन तैयार कर अतिरिक्त संचालक को प्रेषित कर दिया गया है। जांच में सभी तथ्यों का विस्तृत उल्लेख किया गया है
आरोप निराधार हैं
कॉलेज की प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता ने बताया कि षड्यंत्र के तहत मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है कॉलेज में कुछ लोग नही चाहते कि यहां सुधार हो और षड्यंत्र करने में जुट गए, मैने सभी स्टॉफ की समय पर आने काम करने के निर्देश दिए है ,परीक्षाओं में प्रोफेसर नही रहते थे अब रहने लगे हैं मेरी सख्ती के कारण इस बस के बाद ऐसे झूठे आरोप लग रहे हैं मेरे ऊपर।