सागर में भक्तमाल कथा : किशोरदास देव जू महाराज और मलूक पीठाधीश्वर डॉ. राजेन्द्रदास जी महाराज की अमृतवाणी से गूंजा पंडाल

सागर में भक्तमाल कथा : किशोरदास देव जू महाराज और मलूक पीठाधीश्वर डॉ. राजेन्द्रदास जी महाराज की अमृतवाणी से गूंजा पंडाल

सागर : परम पूज्यनीय श्री श्री 108 श्री किशोरदास देव जू महाराज श्री गोरे लाल कुंज श्रीधाम वृन्दावन एवं परम पूज्यनीय मलूक पीठाधीष्वर देवाचार्य डाॅ. राजेन्द्र दास जी महाराज श्री ने एक साथ व्यास पीठ से भक्तमाल कथा की। श्री श्री किषोरदास जी देव जू महाराज श्रीधाम वृन्दावन ने अमृतमयी वाणी से कहा कि जीवन में हमें संग मिले, सतसंग मिले। हमने वृक्ष लगाया वह फलित हो पुश्पित कब होगा जबतक उसे पानी, खाद समय पर न मिले। ऐसे ही हमस ब का हृदय है। यह खेत के समान है। इसमें हमारे श्री सद्गुरू भगवान ने नाम रूप बीज नाम का रूप का नाम हो गया है। हमारे जीवन में सतसंग मिलता रहेगा तो भक्तिरूपी मन बढ़ता रहेगा। तो काम, क्रोध, लोभ, मोह ये सब भक्ति महरानी के षत्रु हैं। नाम जप से ये भी नश्ट हो जायेंगे। इसीलिए आचार्यगण कहते हैं कि हमे सतसंत रहित जीवन मिले। साधनसंपन्न व्यक्ति भी यदि चरित्रवान हो और उसके जीवन में कुसंगती आ जाये तो जीवन व्यर्थ हो जाता है। इसीलिए षराबी का संग करने से आप भी एक दिन षराबी बन जायेंगे। जुआरी का संग करने से आप भी एक दिन जुआरी बन जायेंगे। महापुरूशों के संग से, सतसंग से ही व्यक्ति चरित्रवान बन जाता है। हमारे अंतःकरण में जो कालिका है वह सतसंग से ही उजाला होता है। और जब सतसंग होगा तो ठाकुर जी करूणा करेंगे। कुसंग के ऊपर प्रिया जी ने संदर बात की हमारी भक्ति में जो बाधा पहुॅंचाने वाले हैं वह निकटवान व्यक्ति क्यों न हो, जीवन में भक्ति होगी तो हम कुसंगती से दूर रहेंगे। यदि हमारे जीवन में कितना भी निकट हो, यदि भक्ति में बाधक बनता है तो उसको दूर कर दो। सबसे प्रबल षत्रु जीवन में कोई है तो वो विमुख व्यक्ति पूज्य गुरूदेव जी ने कहा कि मलूक पीठाधीष्वर महाराज श्री जिन्हें मिल जाते हैं उनका जीवन धन्य हो जाता है। मैं तो अपनी कहूॅं कि आपका मेेरे जीवन में बड़ा महत्तव है। आप जैसे गुरू महान संत हमारे पास हैं तो उसके जीवन में कभी कलयुग नहीं आ सकता । आप जैसे संत हाथ पकड़कर श्री ठाकुर जी की सेवा का अधिकार प्रदान करा देते हैं। ऐसे गुरूजन जिनके साथ जुड़े रहेंगे, उनके जीवन में कभी अमंगल नहीं हो सकता।

इसके पष्चात् की कथा व्यास पीठ पर बैठकर मलूक पीठाधीष्वर देवाचार्य डाॅ. श्री श्री राजेन्द्रदास जी महाराज विराजमान हुए और उन्होंने श्रद्धालुओं को अपनी अमृतमयी वाणी से कथा प्रसंग सुनाया। उन्होंने भी षुरूआत ष्यामा प्यारी कुंज बिहारी भजन से की। उनोंने कहा कि वायु ही षब्द का रूप धारण की। मन जो है काया को प्रेरित करता है। और वायु अग्नि को प्रज्जवलित करती है। षब्द जो है वायु में प्रतिश्ठित होता है। सागर वासियों का सौभाग्य है गुरूदेव जी के मुुखारविंद से आपको एक सप्ताह तक श्री भक्तमाल कथा का श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। जिनके हृदय में श्री बिहारी जी-बिहारिनी जी विराजमान हैं। सागरवासियों को और अधिक प्रसन्न होना चाहिए। महाराज श्री आपके बुंदेलखण्ड के ही हैं और उनका यही प्रेम भी बहुत सागरवासियों के प्रति है। आज यहाॅं आकर मन बहुत प्रसन्न है। जब देवराहा बाबा जी का दर्षन किये तो हमको ऐसा लगा कि वृन्दावन में जहाॅं देवराहा बाबा का स्थान है। वही भाव यहाॅं प्रकट हुआ। आचार्य निश्ठा, गुरूनिश्ठा, जिनके भीतर न हो वह कितना जप-तप करले उसे फल प्राप्त नहीं होता। गुरूजी की वाणी से सुना श्री भक्तमाल कथा, रामायण, गीता, से पढ़ा और उसपर पूर्ण निश्ठा से विष्वास कर लिया। उसे ही ठाकुर जी प्राप्त होते हैं। इसी कलिकाल में नाम देव जी महाराज को छप्पन बार साक्षात्कार हुआ। यह तभी होता है जब गुरूकृपा होती है।

सुबह हुआ गुरु पूजन

सुबह 09 बजे गुरूपूजन हुआ एवं सद्गुरूदेव भगवान श्री किषोरदास देव जू महाराज एवं मलूक पीठाधीषवर देवाचार्य डाॅ. राजेन्द्रदास जी महाराज का अजय दुबे, डाॅ. अनिल तिवारी ने परिवार सहित गुरूदेव का पूजन किया।

ये हुए शामिल

कथा की आरती करने वालों में श्री प्रतापनारायण दुबे, अजय दुबे, डाॅ. अनिल तिवारी, संतोश पांडे, रामावतार पांडे, रामगोविंद षास्त्री, राम षर्मा, भरत तिवारी, पप्पु तिवारी, अंकित दुबे, ष्याम नेमा, प्रभात मिश्रा, विनय मिश्रा ने आरती की। व्यासपीठ से आषीर्वाद लेने वालों में नगर विधायक श्री षैलेन्द्र जैन, प्रमेंन्द्र गोलू रिछारिया, जाहर सिंह पूर्व जिलाअध्यक्ष, अनिल दुबे, राजेन्द्र जारोलिया रहली, अनुराग प्यासी, षैलेश केषरवानी, अमित मिश्रा, गिरीशकांत तिवारी, कुलदीप सोनी, चिन्मय पांडे, भरत नेमा, अनुज पांडे डब्बू श्रीवास्तव, अंकुर नायक, विवके मिश्रा, आषीश गोस्वामी मृदुल पन्या, पुश्पेन्द्र यादव, लकी अग्निहोत्री, रामावतार षुक्ला ने व्यासपीठ से आषीर्वाद लिया। कथा श्रवण करने आज प्रथम दिन ही कथा का पूरा पण्डाल भर गया। बडी संख्या श्रद्धालुजन कथा श्रवण करने पहुॅंचे एवं पूज्य गुरूदेव जी से आषीर्वाद प्राप्त किया।

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