सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय की रानी लक्ष्मीबाई छात्रावास को बनाया जा रहा धर्मशाला, अव्यवस्थाओं पर फूटा ABVP का गुस्सा, विवि प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
सागर। एबीवीपी हमेशा से ही छात्र हित राष्ट्र हित समाज हित में काम करता आ रहा है। विगत तीन महीनों से छोटे से रूम जिसमें 1 बेड ही बड़ी मुश्किल से आता है। उसमें दो बेड नीचे रखने की जगह नहीं है जिस रूम में सीलिंग फैन तक लगने की ऊंचाई नई है। जिस रूम में वॉल फैन के सहारे ही हवा की व्यवस्था हो जिस रूम में वेंटिलेशन की कोई व्यवस्था ना हो वहां पर जबरदस्ती एक बेड के ऊपर दूसरा बेड लगाने का अनुचित कार्य विश्विद्यालय द्वारा किया जा रहा है। जिसके विरोध में विद्यार्थी परिषद ने छात्रावास की छात्राओं के साथ मोर्चा खोला ।
दरअसल, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के रानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली छात्राएँ इन दिनों बहुत परेशान हैं। हॉस्टल की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है – न ठीक से रहने की सुविधा है, न पढ़ाई का माहौल। ऐसे में छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन से सख्त कदम उठाने की माँग की है।
1. सिंगल से डबल ऑक्यूपेंसी: जबरन फैसला, बढ़ी परेशानी
जहाँ पहले एक छात्रा के लिए एक कमरा दिया जाता था, अब बिना पूछे उसी कमरे में दो लड़कियों को रखने की तैयारी है। ये फैसला बिना सहमति और जानकारी के लिया गया है, जो कि UGC के मुताबिक एक कमरे में दो छात्राओं के लिए जितनी जगह होनी चाहिए, वह यहाँ बिल्कुल भी नहीं है।कमरे बहुत छोटे हैं और UGC के मानक के अनुसार उपयुक्त नहीं है।
इतने छोटे कमरे में अब दो स्टडी टेबल, बंक बेड और दो लड़कियाँ! ये किसी गोदाम जैसे माहौल जैसा बन जाएगा। खासकर पीरियड्स के समय बंक बेड पर चढ़ना-उतरना बहुत ही परेशानी भरा होजाएगा।
पहले से ही बालकनी तो साझा की ही जा रही।
2. कमरे में दम घुटता है: खिड़की बंद, हवा बंद
बंक बेड के कारण खिड़की धक जाएगी, जिससे हवा आने में रुकावट होगी। गर्मी के दिनों में ये हालात और भी कष्टदायक हो जाएंगे।
3. शौचालयों की कमी: कतार में घंटों इंतजार
22 लड़कियों पर सिर्फ 2 टॉयलेट! और वो भी कभी-कभी पानी नहीं आता। सुबह-सुबह लंबी लाइनें लगती हैं, जिससे पढ़ाई और सेहत दोनों पर असर पड़ता है।
4. मेस का खाना: बेस्वाद और गंदा
चार हॉस्टलों का खाना एक ही ठेकेदार बना रहा है। कभी खाना अधपका होता है, कभी उसमें कीड़े निकलते हैं। न साफ-सफाई है, न कोई विकल्प। बाहर से टिफिन भी मंगाने की इजाज़त नहीं है।
5. पारदर्शिता गायब: मेस का ठेका किसे मिला, कोई नहीं जानता
मेस ठेके की कोई भी जानकारी न वेबसाइट पर है, न नोटिस बोर्ड पर। इससे विश्वविद्यालय की जवाबदेही पर सवाल उठते हैं।
6. कमरे में सीलन टपकते हैं, फर्नीचर सड़ चुका है
बाथरूम और कमरों में दीवारें भीग रही हैं, लकड़ी का फर्नीचर खराब हो गया है, छत में दरारें हैं। इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
7. सेहत पर बुरा असर: बीमारियों में बढ़ोतरी
खराब खाना, तनाव और गंदा माहौल – इसकी वजह से कई लड़कियाँ PCOD, लो BP, थकान और एनीमिया जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं।
8. भीड़ बढ़ रही, सुविधाएँ घट रही
पहले से ही 200 से ज्यादा लड़कियाँ हैं, अब डबल ऑक्यूपेंसी से संख्या 400 तक बढ़ेगी। लेकिन वॉशरूम, वेंटिलेशन, पानी की सप्लाई जैसी सुविधाएँ उतनी ही हैं। और कमरों की साइज तो नहीं बढ़ने वाली है।हॉस्टल की बिल्डिंग में भी इतना भार उठाने की क्षमता नहीं है,पहले से ही दीवारें टूटनी शुरू हो चुकी है।
9. मजबूरी का नाम बंक बेड: वरना घर जाओ
छात्राओं से कहा जा रहा है – “या तो अभी बंक बेड लगवाओ, नहीं तो छुट्टियों में कमरा खाली करो।” ये सीधा दबाव है। सबका एंड सेमेस्टर एग्जाम आने वाला है, और दबाव के कारण में पढ़ाई नहीं कर पा रहे है।
छात्राओं की माँगें – सम्मान और सुविधा की उम्मीद
1. डबल ऑक्यूपेंसी का फैसला तुरंत रोका जाए।
2. कमरे में हवा, रोशनी की व्यवस्था की जाए।
3. मेस में खाने की गुणवत्ता सुधारी जाए और बाहर का विकल्प भी मिले।
4. छात्राओं के स्वास्थ्य को गंभीरता से लिया जाए।
ज्ञापन में सागर जिला विद्यार्थी विस्तारक प्रिंस तिवारी, जिला संयोजक दीनदयाल सिंह ठाकुर, विश्विद्यालय अध्यक्ष अनिकेत कुर्मी, छात्रावास प्रमुख स्वाति राउत , सोनिया,मयंक कश्यप, गौरव मिश्रा, अनुराग देव पांडे, अमर मेहरा, दुष्यंत यादव, करण ग्वालवंशी, दीपक यादव,रजनीश वर्मा, विवेक खरे, नयन त्रिपाठी एवं रानी लक्ष्मीबाई छात्रावास की समस्त छात्रा बहने उपस्थित रही।