चिकित्सा शिक्षकों ने किया वेतन भत्तों में छेड़छाड़ का विरोध
दिनांक ग्यारह नवम्बर को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर के समस्त चिकित्सा शिक्षकों ने मध्यप्रदेश कैबिनेट में पेश किए जाने वाले उस मसौदे का विरोध ,काली पट्टी बांध कर किया ,जिसके माध्यम से डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने के अधिकार को छीना जा रहा है .
चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो डॉ सर्वेश जैन ने बताया कि शुरू में नौकरी ज्वाइन करते समय यह विकल्प दिया गया था ,इसीलिए डॉक्टर्स महानगरों की नौकरी छोड़ कर सागर आए थे ,लेकिन अब इस विकल्प को खत्म करने से डॉक्टर खुदको लुटा हुआ महसूस कर रहे हैं.
अभी भी जो डॉक्टर प्रैक्टिस करना चाहते हैं, वो नॉन प्रैक्टिसिंग एलायंस(एनपीए) जो कि पच्चीस से तीस हजार बनता है ,वो वेतन के साथ नहीं लेते हैं तथा जो एनपीए लेते हैं वो प्रैक्टिस नहीं करते .
सरकार व्यर्थ में दखलदांजी करके अप्रत्यक्ष रूप से निजी कॉरपोरेट हॉस्पिटल को फायदा पहुंचाना चाहती है .वैसे ही मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय संस्थानों के मुकाबले वेतन भत्ते लगभग आधे हैं,सरकार का यह कदम डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे का कारण बन सकता है, कुछ दिन पूर्व छत्तीसगढ़ में सामूहिक इस्तीफे की वजह से नेशनल मेडिकल कमीशन की मान्यता खतरे में पड़ गई थी ,इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार को उक्त निर्णय वापिस लेना पड़ा था.
सचिव डॉक्टर अखिलेश रत्नाकर के अनुसार यदि हमारा डॉक्टर आठ घंटे की सरकारी नौकरी करने के बाद निजी प्रैक्टिस करता है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए . सुप्रीम कोर्ट भी कई बार कह चुका है कि सरकार को एक आदर्श नियोक्ता की तरह व्यवहार करना चाहिए और बीच नौकरी में मूल सेवा शर्तें नहीं बदली जा सकती. डा जैन के अनुसार बदहाल सरकारी अस्पतालों की दशा डॉक्टर को तंग करने से नहीं, बल्कि श्रेष्ठि वर्ग के अस्पताल में आकर इलाज लेने से सुधरेगी।