सूर्या मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल में नियम विरूद्ध कराया गया नाबालिग का प्रसव, बाल कल्याण समिति ने की अस्पताल पहुंचकर की जांच पड़ताल
अस्पताल प्रबंधन ने बेसमेंट की सीढिय़ों के नीचे छुपाकर रखा था नाबालिग को
सागर। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भले ही नियम कायदों के कसीदे पढ़े जाते हों लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जिला मुख्यालय पर ही नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं ऐसा ही एक मामला उस समय सामने आया जब बाल कल्याण समिति को सूचना मिली कि एक निजी अस्पताल में नाबालिग का प्रसव कराया गया है। सूचना मिलते ही बाल कल्याण समिति तथा किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए अस्पताल का निरीक्षण किया जहां अस्पताल प्रबंधन द्वारा समिति तथा बोर्ड के सदस्यों को रोकने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन मौजूद सदस्यों के साथ कुछ समाजसेवियों द्वारा बमुश्किल नाबालिग को खोज लिया गया तथा सुरक्षित जिला अस्पताल में भर्ती कराय गया।
तिलकगंज स्थित सूर्या मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में बुधवार को सुबह एक नाबालिक बालिका की डिलेवरी कराए जाने की सूचना पर बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड की टीम के साथ कुछ समाजसेवी संगठन के सदस्यों ने पहुंचकर कार्यवाही की और वहां से नाबालिग बालिका को सीढिय़ों के नीचे से बरामद किया गया।
सीढिय़ों के नीचे से मिली नाबालिग
अस्पताल प्रबंधन द्वारा अपनी गलती को छिपाने के लिए नाबालिग तथा उसके नवजात शिशु की जान की परवाह किए बिना उसे बेसमेंट में स्थित सीढिय़ों के नीचे छिपा दिया गया। सदस्यों द्वारा जब अस्पताल में खोजबीन की जा रही थी तभी देखा गया कि सीढिय़ों पर किसी के जाने के निशान हैं उन्हीें पैरों के निशानों के आधार पर समिति के सदस्य और समाजसेवी वहां पहुंचे तथा खोजबीन के उपरांत नाबालिग किशोरी को सकुशल तलाश कर बाहर निकाला।
रजिस्टर में नहीं थी एंट्री
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह था कि जब बालिका को भर्ती किया गया तो उसके भर्ती संबंधी कोई जानकारी अस्पताल मे मौजूद रजिस्टरों में नहीं थी। बालिका नाबालिग थी और गैर शादीशुदा थी इसके बाद भी पुलिस को कोई सूचना प्रबंधन द्वारा नहीं दी गई थी। साथ ही उसके साथ मौजूद परिजनों को भी अस्पताल प्रबंधन ने छिपा दिया था। जिससे अस्पताल प्रबंधन का उद्देश्य साफ समझ में आ रहा था कि वह नियम विरूद्ध कार्य करने में संलिप्त थे। पूरे मामले में जब अस्पताल प्रबंधन से जानकारी ली गई तो प्रबंधन के पास नाबालिग से संबंधित न रजिस्ट्रेशन, न ही आधार कार्ड और न ही चिकित्सा संबंधी कोई भी दस्तावेज समिति के सदस्यों को उपलब्ध कराए गए।
डॉक्टरों ने सदस्यों को धमकाया
सूचना मिलने पर मामले की जांच करने पहुंची बाल कल्याण समिति तथा किशोर न्याय बोर्ड और समाजसेवियों को अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने तथा अस्पताल प्रबंधन द्वारा धमकाया गया और राजनैतिक रसूखदारों से भी फोन कराकर कार्यवाही रोकने का दबाब बनाया गया। अस्पताल में मौजूद चिकित्सक मु. अजहर खान व अन्य लोगों द्वारा समिति से अभद्रता करते हुए देख लेने की धमकी दी गई। इतना ही नहीं अस्पताल के कर्मचारी के फोन पर शहर के एक नेता द्वारा समिति के सदस्यों को भी धमकी दी गई।
मौके पर समिति द्वारा पुलिस को सूचना दी गई जिसके बाद पुलिस ने पहुंचकर कार्यवाही करते हुए अस्पताल प्रबंधन से जानकारी दी तथा नाबालिग से उसके हाल चाल और स्वास्थ्य संबंधी ली। नाबालिग के परिजनों से भी उसकी देखरेख और नवजात की देखरेख करने की बात कही, साथ ही बालिका को जिला अस्पताल में उचित देखरेख के लिए भर्ती कराया गया। इस पूरी कार्यवाही में बाल कल्याण समिति अध्यक्ष श्रीमती किरण शर्मा, सुरेन्द्र सेन, अनीता राजपूत, अनिल रैकवार, भगवत शरण बनवारिया, किशोर न्याय बोर्ड सदस्य वंदना तोमर, चंद्रप्रकाश शुक्ला सहित समाजसेवियों में उमेश सराफ सहित अन्य लोग शामिल रहे। इस पूरे मामले को लेकर जब एडीशनल एसपी जो कि विशेष पुलिस इकाई के सर्वेसर्वा भी हैं उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
इनका कहना है
मामला मेरी जानकारी में आया है, इसमें नोटिस में जारी करके पाक्सो अधिनियम की धाराओं के अनुसार कार्यवाही के लिए लिखा जाएगा।
ओंकार सिंह
सदस्य, बाल अधिकार संरक्षण आयोग मप्र