सेप्टिक टैंक में डूबने से तीन सगी बहनों की हुई मौत 

सेप्टिक टैंक में डूबने से तीन सगी बहनों की हुई मौत 

रीवा जिले के तमरा गांव में टैंक में डूबने से तीन सगी बहनों की मौत हो गई। तीनों बहनें शुक्रवार शाम को नाग पंचमी की पूजा के लिए टैंक में उतरी थीं। इसी दौरान हादसा हो गया। ग्रामीणों ने तीनों के शवों को बाहर निकाला। बेटियों को इस हालत में देखकर चीख-पुकार मच गई।

तमरा गांव में नाग पंचमी पर कपड़े की गुड़िया बनाकर पूजा करने और उन्हें पानी में विसर्जित करने की परंपरा है। गांव के ही राजकुमार रजक की तीन बेटियां सोनाली (9), तन्वी (7) और जाह्नवी (6) भी खेल-खेल में कपड़े की गुड़िया लेकर पानी से भरे ट्रैक में उतरीं। गुड़िया विसर्जित करने के दौरान तीनों गहराई में चली गईं। डूबने से उनकी मौत हो गई।

बता दें कि रीवा में ही एक दिन पहले बांस गांव में नहर में डूबने से दो बच्चियों की मौत हुई थी। वहीं, 10 दिन पहले गढ़ में दीवार गिरने से चार बच्चों की जान चली गई थी।
बिना बताए चली गई थीं तीनों बहनें

राजकुमार रजक की 6 बेटियां हैं। बड़ी बेटी निधि रजक ने बताया कि सोनाली चौथी कक्षा में पढ़ती थी। जबकि तन्वी और जाह्नवी दूसरी और तीसरी कक्षा में पढ़ती थी। निधि ने कहा, हम हर साल नाग पंचमी पर गुड़िया पानी में बहाने जाते हैं। दादी भी साथ रहती है, लेकिन इस बार तीनों बहनें घर में किसी को बताए बिना चली गईं।

गांव में टैंक के पास पड़ी थी गुड़िया

गांव के ही महेश कुमार बुनकर ने बताया, जब घरवालों को बच्चियां नहीं दिखी तो मैं भी उनके साथ उन्हें ढूंढने लगा। टैंक के पास जाकर देखा तो किनारे पर पुतलियां, चुनरी और पूजा का सामान पड़ा था। मैंने तुरंत पानी में छलांग लगा दी। गहराई में जाकर देखा तो एक बच्ची के बाल मेरे हाथों में आए, जिसे पकड़कर उसे बाहर निकाला। दोबारा अंदर गया तो फ्रॉक पकड़ आई। उसे भी खींचकर निकाला। तीसरी बच्ची भी थोड़ी देर बाद मिल गई। दुख इस बात का है कि तीनों की मौत हो चुकी थी।
हमने बेटियों को बेटों की तरह पाला

बच्चियों की दादी गुड्डी रजक ने बिलखते हुए कहा, कुछ दिन बाद रक्षा बंधन है। घर में त्योहार की तैयारी चल रही थी। त्योहार के दिन तीन मौत होती है क्या। बच्चियां जरा सी बीमार भी हो जाती थीं तो हम डर जाते थे कि कुछ हो न जाए। छह बेटियां हैं, हमने कभी भेद नहीं किया। इन्हें बेटो की तरह पाला। दिन भर मुझे दादी अम्मा कहकर बुलाती रहती थीं। मां कभी थप्पड़ मार दे तो दौड़कर फौरन मेरे पास आ जाती थीं।
मेरे सामने खेल रही थीं, पता होता तो जाने नहीं देती

बच्चियों की मां विनीता रजक सदमे में है। विनाती कहती हैं, रोज की तरह तीनों बेटियां शाम 4 बजे स्कूल से लौटकर घर आईं। तीनों खेल रही थीं। काफी देर तक नहीं दिखीं तो अम्मा नहीं पूछा। थोड़ी देर बाद पता चला कि बेटियां डूब गई हैं। हादसे का थोड़ा भी अंदाजा होता तो उन्हें नहीं जाने देती। मैं उन्हें बचा नहीं पाई।

पता नहीं था काम से लौटूंगा तो ये सब हो जाएगा
बच्चियों के पिता राजकुमार रजक ने कहा, मेरी 6 बेटियां हैं। शुक्रवार को भी रोज की तरह काम पर गया था। घर से फोन आया और बोले कि जल्दी से घर आ जाओ। मैंने कारण पूछा, लेकिन कुछ नहीं बताया। घर पहुंचा तो लोगों ने बताया कि मेरी मासूम बच्चियां अब नहीं रहीं। यकीन नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद तीनों की लाश देखी। क्या बोलूं, किसे दोष दूं..।

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