विकास की पोल खोलता यह गांव, जहाँ मूलभूत सुविधाएं नही

विकास की पोल खोलता यह गांव, जहाँ मूलभूत सुविधाएं नही

सागर। गांव में बीमार व्यक्ति को इलाज के लिए खाट पर ले जाना पड़ता है।जिले के बंडा विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत कलराहों का टपरा गांव जहां बड़ी-बड़ी योजनाएं गांव तक पहुंच नहीं पाती। टपरा गांव में आजादी के बाद अब तक सड़क नहीं बन पाई फिर विकास के अन्य काम तो दूर की बात है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव के विकास की बानगी 300 की आबादी वाला टपरा गांव स्टेट हाइवे से 2 से 3 किलोमीटर दूरी पर बसा है, जहां मेन रोड से एक किलोमीटर पक्की सड़क तक नहीं बन पाई। गांव में न पक्के मकान हैं और न कोई अन्य सुविधा अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे इलाज के लिए खाट पर ले जाना पड़ता है। गांव की सड़कों के लिए ग्रामीणों ने कई आवेदन निवेदन किया। जिला पंचायत, सरपंच , सचिव, विधायक, सांसद और मंत्री से लेकर तमाम जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगाई। आश्वासन तो खूब मिले, लेकिन सड़क नहीं बनी। गांव की महिलाओं ने बताया कि लाड़ली बहना योजनाएं भी दम तोड़ती नजर आ रही हैं। आलम ये है कि कुछ ग्रामवासी मिट्टी की दरकती दीवारों के बीच रहने को मजबूर हैं। जहां कभी भी हादसा हो सकता है। सड़क नहीं पगडंडी है। टपरा गांव में एक ही मुख्य सड़क है, जो कीचड़ से सनी पगडंडी में बदल चुकी है। इस पगडंडी के सहारे ही गांववाले निकलते हैं। 75 साल की बुजुर्ग महिला देशराजरानी बताती है कि अब तो सरकार से उम्मीद ही छूट गई है। गांव के ही स्थानीय निवासी कहते हैं कि गांव की सड़क के लिए सांसद से लेकर विधायक जिला पंचायत तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि कई बार तो जाते वक्त सड़क पर ही बच्चे पैदा हो गए लगता नहीं कि हम अपने गांव में कभी सड़क देख पाएंगे।

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