नाबालिग को खाने -पीने का लाचल देकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग को खाने-पीने का लालच देकर /बहला-फुसलाकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी रमेष यादव को पॉक्सों एक्ट, 2012 की धारा- 5एल/6 एवं 5एम/6 के तहत 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच-पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत नेे दंडित किया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विषेष लोक अभियोजक श्रीमती रिपा जैन ने की । न्यायालय द्वारा बालिका की आयु एवं परिणाम स्वरूप उसके भविष्प पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुये उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर 4,00,000/-(चार लाख रूपये)े प्रतिकर दिलाये जाने का आदेष पारित किया गया।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता ने दिनांक 03.04.2023 को थाना-नरयावली में इस आषय की रिपोर्ट लेख कराई कि अभियुक्त ने जानवरों को पानी पिलाने के लिये चलने पर कुरकुरे देने का कहकर बहला-फुसलाकर कमरे में ले जाकर गलत काम किया एवं अभियुक्त ने इस बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी थी । अभियुक्त द्वारा करीब 8-10 बार बहला-फुसलाकर गलत काम किया गया, पीड़िता द्वारा उक्त बात उसने अपने भाई को बताई उसके भाई ने पीड़िता की मॉ को घटना के बारे में बताया फिर माता-पिता के पूछने पर पूरी बात उन्हें बताकर थाना पर रिपोर्ट की थी। उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-नरयावली द्वारा धारा 376, 376(एबी) भा.दं.सं. एवं धारा 5एल/6,5एम/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। प्रकरण में अभियुक्त के डीएन प्रोफाईल पाये जाने एवं पीड़िता व अन्य साक्ष्य के आधार पर विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया।