नाबालिग को बहला-फुसलाकर ले जाने वाले एवं उसके साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड

नाबालिग को बहला-फुसलाकर ले जाने वाले एवं उसके साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड

सागर । नाबालिग को बहला-फुसलाकर ले जाने वाले एवं उसके साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी ’’अ’’ उर्फ ’’रो’’ को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, तथा पाक्सो एक्ट की धारा-6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा- 3(2)(व्ही-ए) के तहत पॉच वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा- 3(2)(व्ही) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी रिपा जैन ने की ।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता की मॉ ने दिनांक 18.01.2022 को थाना मोतीनगर में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी लड़की/पीड़िता जो कक्षा 10वी में पढ़ती है दिनांक 17.01.2022 को सुबह करीब 10.00 बजे स्कूल जाने का कहकर गई थी जो वापस नहीं आई, जिसकी तलाश आस पड़ोस में तथा रिश्तेदारी में, दोस्तों में पता किया किन्तु कोई पता नहीं चला । किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। अनुसंधान के दौरान दिनांक 12.03.2022 को बालिका को दस्तयाब किया जाकर उसके कथन लेख किये गये जिसमंे उसने अभियुक्त द्वारा दिनांक 17.01.2022 को उसे पीथमपुर ले जाना तथा उसकेे साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया जाना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-मोतीनगर द्वारा धारा- 366ए, 376(2)(द) भा.दं.सं. एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(गपप), 3(2)(व्ही) अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 198 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।

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