नौ कुंडीय एवं नौ दिवसीय महायज्ञ: भक्ति ही भगवान तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है- देवदास जी

नौ कुंडीय एवं नौ दिवसीय महायज्ञ: भक्ति ही भगवान तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है: देवदास जी

श्री महालक्ष्मी महायज्ञ एवं दिव्य सत्संग का आयोजन

सागर। भगवान भक्त भगवान से बड़ा कैसे हो सकता है, तो यह भजन का प्रभाव है। जब भक्त सुख,दुख,हानि,लाभ कष्ट और आनंद में भगवान राम का स्मरण करता है तो उसे हर हालत में आना ही पड़ता है। वह परमात्मा जिसे देवी,देवता, ऋषि,मुनि प्राप्त नहीं कर पाते उसे सच्ची भक्ति से भक्त प्राप्त कर लेते हैं। भगवान न केवल भक्तों के पास आते हैं बल्कि उनकी इच्छा के अनुसार सुख भी देते हैं । उक्त सारगर्मित उदगार संत श्री देव दास जी बड़े महाराज ने बमोरी रेगवा स्थित और पंडित अजय दुबे के कृषि फार्म पर आयोजित श्री महालक्ष्मी महायज्ञ श्री विग्रह प्राण प्रतिष्ठा एवं दिव्य सत्संग के दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए।

श्री देव दास जी महाराज ने भगवान राम की महिमा का बखान करते हुए कहा कि राम के बिना कुछ नहीं है ।राम ही जीवन है।भगवान शंकर ने भी राम को ईस्ट माना है। राम पतित के पावन है,करुणानिधि है ।जितना भी हो सके भगवान राम का जाप करें। उन्होंने कहा कि राम सहज है,सरल है। जो राम का स्मरण करता है, ध्यान करता है राम उसके हृदय में रहते हैं। अगर तुम भजन कर रहे हो तो यह तुम्हारा मन ,बुद्धि नहीं बल्कि मन के अंदर बैठा राम करवा रहा है।
देवदास जी महाराज ने कहा कि पृथ्वी पर जितने भी मार्ग बने है सभी सनातन धर्म से होकर गुजरते हैं।यह ऋषि,मुनियों की तपोभूमि है। उनकी महिमा को जितना गाया जाए उतना कम है ।सनातन की परंपरा ऐसी है कि जहां भगवान को भी कहना पड़ा है कि हमसे बड़े हमारे भक्त हैं।

भगवान से बड़ा भक्त होता है

देव दास जी महाराज ने कहा कि इस सृष्टि के पालनहार भगवान है।सर्वशक्तिमान भी वती है लेकिन भक्त की आगे वह नतमस्तक है ।भगवान के प्रति आप में यदि अटूट श्रद्धा और विश्वास है तो वह आपके सदा समीप है ।भाव हमेशा निष्क्षल होना चाहिए। कर्मा बाई भगवान को प्रतिदिन खिचड़ी बनाती थी। उसे झूठी दातोंन से चलाती थी फिर भी भगवान प्रतिदिन खाते थे। माता सबरी ने भगवान को झूठे बेर खिला दिए, तो विदुर के यहां से भगवान ने केला के छिलके ग्रहण कर लिए। यदि भक्त में भाव है तो भगवान भी भक्तों के अनुसार ही बदल जाता है। भगवान जब भक्त के सामने होते हैं तो उनकी शक्ति एक तरफ हो जाती और भक्ति प्रबल हो जाती है।

पंडित देवदास जी महाराज ने कहा कि परमात्मा सृष्टि का पालन करने वाला है। प्रत्येक वस्तु का उसमें निवास है जीवन से लेकर मरण तक सभी अवस्थाएं उस में विलीन हो जाती है।परमात्मा को समझ लेना, जान लेना और सम्मान देना ही श्रेष्ठ व्यक्ति का लक्षण होता है। वह लक्षण सत्संग से ही प्राप्त होता है। धर्म के स्वरूप को जानने के लिए ऋषि, संतों ने मार्ग प्रशस्त किए हैं।उसी मार्ग पर चलकर हम सहजता, सुगमता से ईश्वर के समक्ष पहुंच सकते हैं।
अरणी मंथन अग्नि स्थापना के साथ महालक्ष्मी यज्ञ प्रारंभ हुआ
बमौरी रेंगुवा में पंडित अजय दुबे के फार्म हाउस पर आयोजित नौ कुंडीय एवं नौ दिवसीय महायज्ञ के प्रथम दिवस मुख्यतः अरणी मंथ,न अग्नि स्थापना, ग्रह पूजन, मंडप पूजन, आचार्य ब्रह्मा, ब्राह्मण वरण के कार्य यज्ञाचार्य पंडित केशव महाराज वृंदावन धाम के सानिध्य में हुआ। यज्ञ के मुख्य यजमान श्रीमती साधना अजय दुबे ,शिवानी संजय दुबे, डॉक्टर प्रतिभा, डॉक्टर अनिल तिवारी, मनीष सोनी, सपत्नीक डॉ रामचंद्र शर्मा, गोलू अग्रवाल ने नौ कुंडों में अलग-अलग बैठकर महालक्ष्मी यज्ञ में मंत्रोच्चार के बीच आहुति दी। यज्ञ विधान की क्रियाएं श्री राम चरण शास्त्री, हरि महाराज, वृंदावन धाम से पधारे पंडित केशव महाराज,अमित शास्त्री, संतोष तिवारी, कुंज बिहारी शुक्ला, द्वारा कराई गई। महालक्ष्मी नौ कुंडीय यज्ञ का विधान महिमा के बारे में पंडित राम चरण शास्त्री ने बताया कि यज्ञ में प्रथम प्रधान कुंड सभी मनोकामना की पूर्ती के लिए होता है। द्वितीय कुंड पुत्र प्राप्ति के लिए है। इस योनि कुंड का पूजन जरूरी है। तृतीय कुंड आचार्य ज्ञान प्राप्ति के लिए होता है जड़ व्यक्ति भी कुंड पर बैठकर हवन करता है तो वह निश्चित ज्ञान प्राप्त कर लेता है। चतुर्थ त्रिकोण कुंड शत्रु पर विजय के लिए होता है। पंचम व्रत कुंड होता है ,जो व्यापार वृद्धि में सहायक है। छठवां कुंड अर्धचंद्र होता है जिसमें हवन करने से अशांत मन को शांती मिलती है।सातवा कुंड सम अष्टक, विषम अष्टक,षडाष्टक कुंड लक्ष्मी प्राप्ति के लिए होता है एवं नौंवा कुंड भी लक्ष्मी प्राप्ति के लिए होता है। नव कुंडात्मक महालक्ष्मी यज्ञ का फल नित्य यज्ञ नारायण की परिक्रमा एवं भजन से सारी मनोकामना पूरी होती है। यज्ञ के प्रथम दिवस हजारों की संख्या में श्रद्धालु नर नारियों ने यज्ञ परिक्रमा कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।

कथा के दौरान यजमान पं अजय दुबे, श्रीमती साधना दुबे,डॉ अनिल तिवारी, डॉ प्रतिभा तिवारी, पंडित संजय चौबे, शिवानी चौबे, मनीष सोनी, पप्पू तिवारी, भरत तिवारी, गोलू अग्रवाल,रामचरण शास्त्री, हरि महाराज, पंडित कुंज बिहारी शुक्ला,शिव प्रसाद तिवारी, अभिषेक शर्मा, निर्भय सिंह, सुशील रामकृष्ण तिवारी, अमित कटारे , राम शर्मा, सुखदेव मिश्रा, अरविंद दुबे,अंकित दुबे, देवव्रत शुक्ला, श्याम मनोहर पचौरी, कुलदीप दुबे, शिव नारायण शास्त्री, मुरारी नायक, अभिषेक शर्मा, श्याम पचौरी के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

आज के कार्यक्रम
23 फरवरी गुरुवार को 9 कुंडीय महालक्ष्मी यज्ञ के तहत सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक पूजन एवं 9:00 से 2:00 बजे तक हवन होगा । 2:30 बजे से श्री देव दास जी महाराज का दिव्य सत्संग होगा।

KhabarKaAsar.com
Some Other News

कुछ अन्य ख़बरें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: इस पेज की जानकारी कॉपी नहीं की जा सकती है|
Scroll to Top