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51 करोड़ माइनिंग जुर्माना मामले में IAS नागर्जुन पर आरोपो में नया मोड़, RTI में खुलासा

51 करोड़ माइनिंग जुर्माना मामले में आईएएस नागर्जुन गौड़ा पर आरोप निकले फेक; RTI एक्टिविस्ट के दस्तावेजों में नहीं मिला कोई सबूत ...

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Gajendra Thakur

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51 करोड़ माइनिंग जुर्माना मामले में आईएएस नागर्जुन गौड़ा पर आरोप निकले फेक; RTI एक्टिविस्ट के दस्तावेजों में नहीं मिला कोई सबूत

MP: प्रदेश में 51 करोड़ रूपये के कथित अवैध खनन जुर्माने के मामले में आईएएस अधिकारी डॉ. नागर्जुन बी. गौड़ा पर लगे आरोपों को लेकर प्रशासनिक दस्तावेजों और आधिकारिक सुनवाइयों में कोई भी गड़बड़ी या अनियमितता साबित नहीं हुई है। विभागीय अभिलेखों से स्पष्ट हुआ है कि यह पूरा विवाद भ्रम, अधूरी जानकारी और प्रक्रिया संबंधी त्रुटियों के चलते खड़ा हुआ था।

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यह विवाद तब शुरू हुआ जब आरटीआई कार्यकर्ता आनंद जाट ने डॉ. गौड़ा पर ₹10 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने PATH नामक निजी कंपनी पर लगाए गए ₹51 करोड़ के जुर्माने को घटाकर मात्र ₹4,000 कर दिया। यह कंपनी भारतमाला परियोजना के तहत बेतूल-इंदौर हाईवे निर्माण कार्य में संलग्न थी। यह दावा सामने आते ही मामला सुर्खियों में आ गया।

लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड्स ने इन दावों को गलत साबित किया है। ₹51 करोड़ का नोटिस डॉ. गौड़ा के पदभार ग्रहण करने से पहले जारी किया गया था। बाद की सुनवाइयों में यह सामने आया कि जिन भूखंडों पर अवैध खनन का आरोप लगाया गया था, उनमें से कई पर वैध खनन पट्टे (माइनिंग परमिट) पहले से मौजूद थे। वहीं कुछ स्थानों पर पूर्व में अन्य कंपनियों या स्थानीय किसानों द्वारा सरकारी योजनाओं के तहत मिट्टी की खुदाई की जा चुकी थी।

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विभागीय जांच और प्रशासनिक अभिलेखों से यह स्पष्ट हुआ कि डॉ. गौड़ा ने अपने कार्यकाल में सभी निर्णय विधिक प्रक्रिया और नियमों के अनुरूप लिए थे। उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप तथ्यों से परे और भ्रामक पाए गए। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह पूरा विवाद दस्तावेजों की गलत व्याख्या और तकनीकी त्रुटियों के कारण उभरा था।

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