झूठा मामला, जांच और एफआईआर के 4 साल, अब भी प्रकरण लंबित, न्यायालय के आदेश की भी खुली अवहेलना
सागर। मामला बेहद चौकाने वाला हैं इस मामलें को देख कर लगता है मध्यप्रदेश में जंगल राज चल रहा हो जैसे ?
दरअसल, साल 2022 में एक झूठी घटना बनाने के 2 माह बाद पुलिस महानिरीक्षक ज़ोन सागर के यहां एक आवेदन दिया गया था आवेदन में षड्यंत्र की बू आई और पुलिस अधिकारी के नगर पुलिस अधीक्षक को जांच के लिए उक्त आवेदन सौपा था।
ताज्जुब है आवेदक खुद एक रिकार्डशुदा बदमाश निकला जिसके अनेक अपराध और न्यायालय से सजा दर्ज हैं।
यहां साल 2022 का उक्त आवेदन आखिरकार चलता-चलता सिटी कोतवाली को मार्क किया गया मुँह जुबानी बताया गया कि कोई सबूत नही फिर आवेदन के नाम पर खेल होने लगा कुछ विरोधी उसमे लग गए और सुना है पैसे भी खूब चले और अब भी चल रहें ?
2 साल की जाँच और ओना पोना मुकदमा दर्ज किया
साल 2022 के उक्त कथित आवेदन के नाम पर फरवरी 2024 में एक एफआईआर सिटी कोतवाली में दर्ज कर ली गई और आज दिनांक तक मामला यथावत पड़ा हुआ है अब बताया जा रहा है कि फरयादी नही आ रहा जिसको नोटिस भी बहुमुस्किल तामील हुए वह भी महीनो में ,जिसके तलाशी पंचनामें भी खूब डाले गए अब।
इस सत्य कथा में सागर पुलिस विभाग की पोल खोल कर रख दी कोतवाली के वर्तमान टीआई मनीष सिंघल ने 14- 06- 2025 को प्रथम श्रेणी न्यायाधीश सागर के यहां बताया था कि विवेचना पूरी हो चुकी हैं अभियुक्त की अब आवश्यकता नही 15 दिवस में चालान पेश कर देंगे उक्त सारा विवरण न्यायालय ने आर्डर शीट पर ले लाया जिसकी प्रमाणित प्रति ली गयी हैं।
बता दें यहाँ आवेदन एक अपराधी प्रवत्ति का व्यक्ति है और आरोपी एक पत्रकार हैं जिसपर अनायास दवाब बनाया जा रहा है क्योंकि वह अपनी खबरो के माध्यम से अपराधियों और दगदार कर्मचारियों का खुलासा करता आया हैं।
बहरहाल मामला आज नही तो कल सब के सामने आएगा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पास गृह विभाग है आपको ऐसे मामलें (46/2024 थाना सिटी कोतवाली सागर) जरूर देखने चाहिए क्योंकि ऐसे जाली मामलों से की छबि धूमिल हो रही हैं।
अभियुक्त को नही दी जा रही कोई जानकारी
इस हैरतअंगेज मामलें में अभियुक्त पत्रकार को आरटीआई में भी कोई जानकारी नही दी जा रही है साथ ही ज्ञात हुआ है आवेदन जांच के नाम पर सीडीआर भी निकाली गई जो केस डायरी से हटा दी गयी, जिसमे साफ था कि आरोपी और आवेदन की कोई बातचीत और मेल मुलाकात नही हुई कभी फिर किसी के फोन पे पर बगैर माँगे 2,2 हजार करके कुल 8 हजार रुपये डालो और दो माह बाद आईजी के यहां आवेदन दे आओ जिसपर 2 साल बाद एफआईआर कर ली जाती है और फिर डेढ़ साल बाद भी स्थिति यथावत रखी जाती हैं। प्रकरण में अभियुक्त ने स्वयं न्यायालय में आवेदन देकर न्याय की लगाई गुहार, वहीं सीएम हेल्पलाइन में 2 साल से पड़ी शिकायत अटेंड नही की जा रही एल 3 पर।