प्रसिद्ध शायर अशोक मिजाज की चुनिंदा शायरी पर व्यापक परिचर्चा और काव्य पाठ का आयोजन हुआ
सागर। डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के साहित्य परिषद हिंदी विभाग द्वारा सागर शहर के ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध शायर अशोक मिजाज की चुनिंदा शायरी पर व्यापक परिचय और काव्य पाठ का सफल आयोजन किया गया।इस खास मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी भोपाल की निदेशक डॉक्टर नुसरत मेहंदी उपस्थित रहीं जिन्होंने अशोक मिजाज की शायरी को परंपरा और आधुनिकता का सामंजस्य के रूप में रेखांकित किया। इसके पश्चात उन्होंने उर्दू की शायरी परंपरा से परिचित कराकर काव्य पाठ भी किया। अपने कलाम में उन्होंने कहा कि ‘मैं अंधेरों में काम आऊंगा,
मुझको पहचान लो नजर है तो।’
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता शायर व कवि आदर्श दुबे उपस्थित रहे जिन्होंने ‘आज का मिजाज’ विषय पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज का मिजाज कच्ची नींद के ख्वाब जैसा है। आगे उन्होंने कहा कि अशोक मिजाज जी उर्दू और हिंदी को जोड़ देने का मिसाली काम किया है। विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉक्टर सुजाता मिश्र उपस्थित रही जिन्होंने कहा कि शायरी की खूबी है कि वह ईमानदारी से कही गई बात है और उन्होंने अशोक मिजाज को हिंदी गजल परंपरा का अग्रणी शायर कहा। इस खास मौके पर अशोक मिजाज स्वयं उपस्थित रहे जिन्होंने अपनी लोकप्रिय गजलों और शेरों-शायरी के माध्यम से कार्यक्रम का समा बांधा। अपनी गजलों और शेरों के माध्यम से आज के मिजाज को देखते हुए उन्होंने कहा कि
‘सुलखती भीड़ जब बगावत पर उतर आए,
कौन कहता है कि तख्ता पलट नहीं सकता’
स्वागत वक्तव्य डॉक्टर संजय नाइनवाड़ द्वारा दिया गया जिन्होंने कहा कि छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए पाठ्येतर गतिविधियां बहुत आवश्यक है। अध्यक्षीय उद्बोधन हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने दिया और संरक्षण के रूप में प्रोफेसर चंदा बेन उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉक्टर हिमांशु कुमार ने किया और इस खास मौके पर गजाधर सागर,मलैया जी, मानिक देव ठाकुर, महबूब, वीरेंद्र प्रधान,टीकाराम त्रिपाठी, अरुण दुबे, अरविंद कुमार, अफरोज बेगम, शशि सिंह,माधव ,राजकुमार तिवारी और प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से सुमन और नम्रता जी तथा हिंदी विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।