भोपाल। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों के शिकार की अंतरराष्ट्रीय साजिश का अंदेशा जताया जा रहा हैं, वन मुख्यालय की ओर से यहां तैनात वन अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है नोटिस में पूछा गया है कि 3 साल में 34 बाघों की मौत के मामले में 10 बाघों के शवों का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं कराया गया? जबकि नियमानुसार पोस्टमार्टम अनिवार्य है। हम यह भी जानना चाहते हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत पर वन विभाग ने रिपोर्ट तैयार कर ली है. जिसमें टाइगर रिजर्व के डॉक्टर को दोषी पाया गया है, लेकिन वहां अलग-अलग समय पर तैनात रहे फील्ड डायरेक्टरों के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई है, जिन्हें दोषी नहीं ठहराया गया। उनमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं। प्रदेश में पिछले 5 साल में 168 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है. देशभर में 607 की मौत हो चुकी है. इस साल सात महीने में देशभर में 86 बाघों की मौत हो चुकी है. जबकि प्रदेश में 30 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें से अधिकतर मामले बाघ के शिकार के हैं। 5 साल में प्रदेश में 2,28,812 वन अपराध के मामले दर्ज किये गये हैं।
बांधवगढ़ में हुई घटनाओं की जांच के दौरान घटना स्थल की जांच के लिए श्वान दल और मेटल डिटेक्टर का उपयोग नहीं किया गया। सबूत भी सुरक्षित नहीं रखे गए. इस वजह से शिकार की दर्ज घटनाओं में भी अदालतों में मामला कमजोर रहा है, जिनमें बाघों की मौत के ज्यादातर मामलों में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी नहीं की गई और पोस्टमार्टम के दौरान एक डॉक्टर मौजूद था, जिसके कारण मौत या हत्या का कारण पता नहीं चल सका। शिकार क्षेत्रों में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।
बाघों के अवैध शिकार की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग को लेकर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है. आशंका जताई जा रही है कि टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत सामान्य नहीं बल्कि अवैध शिकार के कारण हुई है. 2021 में 12, 2022 में नौ और 2023 में 13 बाघों की मौत हुई। सबसे ज्यादा मौतें मानपुर बफर जोन में हुई हैं।