बालिका के व्यपहरण एवं दुष्कर्म में सहयोग करने वाले आरोपीगण को आजीवन सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । बालिका के व्यपहरण एवं दुष्कर्म में सहयोग करने वाले अभियुक्तगण किषन लोधी , गुलझार लोधी, मुलायम लोधी, भुरीबाई लोधी, बतीबाई लोधी एवं अनीता लोधी को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 363,366ए के तहत 05-05 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच-पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा-344 के तहत 02 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा-506(भाग-2) के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड तथा पाक्सो एक्ट की धारा-17 के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा- 3(2)(व्ही-ए) के तहत पॉच वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड तथा धारा- 3(2)(व्ही) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। प्रकरण में मुख्य अभियुक्त को सजा हो चुकी है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता के पिता ने दिनांक 04.02.2016 को थाना-बंडा में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि उक्त दिनांक को करीब 11.30 बजे उसकी लड़की/पीड़िता व उसकी छोटी लड़की, साईकिल से पढ़ने के लिये स्कूल गई थी, शाम करीब 5.00 बजे उसकी छोटी लड़की घर पहुंच गई किन्तु पीड़िता के घर नहीं पहुंचने पर छोटी लड़की से पीड़िता के बारे में पूछने पर उसने बताया कि वे दोनों बहनें स्कूल मंे प्रार्थना करके अपनी-अपनी कक्षा में चली गई थी, 3.00 बजे लंच की छुट्टी में बालिका/पीड़िता स्कूल मंे दिखी थी, पर छुट्टी होने पर बालिका/पीड़िता नहीं दिखी तो वह जहां साईकिल रखकर स्कूल जाते हैं, साईकिल उठाने आयी तो उसे बालिका/पीड़िता की साईकिल वहा रखी मिली, लेकिन बालिका/पीड़िता साईकिल उठाने नहीं आई तो वह अकेली घर आ गई। तत्पश्चात् बालिका/पीड़िता की तलाश रिश्तेदारों में करने पर भी उसका कोई पता नहीं चला, किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला-फुसलाकर ले जाने की शंका व्यक्त की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-बंडा द्वारा धारा-363, 366-ए, 344 506(भाग-2) भा.दं.सं., एस.सी/एस.टी एक्ट की धारा- 3(2)(व्ही), 3(2)(व्ही-ए) तथा धारा-17 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित कियाहै।