मोटर साइकिल से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड

मोटर साइकिल से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड
सागर। मोटर साइकिल से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी सुरेन्द्र शर्मा को न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर, अब्दुल्लाह अहमद की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा-8 सहपठित धारा- 20(इ)(पप)(ब) के तहत 10 वर्ष कठोर कारावास एवं एक लाख रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है । मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्षन में विषेष लोक अभियोजक श्री संजय कुमार पटैल ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि  थाना राहतगढ़ को दिनॉक 24.10.2017 को जरिये मुखबिर सूचना प्राप्त हुई कि सुरेन्द्र शर्मा नाम का व्यक्ति मोटर साइकिल से गांजा ले जा रहा है एस.डी.ओ.पी राहतगढ़ को कार्यवाही की सूचना देने के उपरांत हमराह स्टाफ के साथ मुखबिर के बताये स्थान ऐरण नाका पर रूककर संदेही का इंतजार किया जिसके कुछ समय पष्चात एक व्यक्ति मोटर साइकिल पर आता दिखाई दिया जिसकी मोटर साइकिल पर पीछे एक बोरा बंधा हुआ था वह व्यक्ति पुलिस को देखकर भागने लगा उसे हमराह स्टाफ की मदद से पकड़ा गया। नाम पता पूछने पर अपना नाम सुरेन्द्र शर्मा पिता बाबूलाल शर्मा होना बताया। आरोपी की मोटर साइकिल पर बंधे बोरे को खोलकर देखने पर उसमें मादक पदार्थ रखा होना पाया गया जिसे छूकर, सूंघकर, जलाकर देखा तो अनुभव के आधार पर गांजा होना पाया गया। आरोपी के कब्जे से कुल 22 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया। आरोपी का कृत्य धारा- 8/20 एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत पाये जाने से उसे गिरफ्तार किया गया। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-राहतगढ़ में धारा-8 सहपठित धारा-20(इ)(पप)(ब) एन.डी.पी.एस. एक्ट 1985 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेष किया।विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय विषेष न्यायाधीष (अंतर्गत धारा 36 (1) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985)जिला सागर, श्रीमान अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपी को उपरोक्त सजा से दंडित किया है।
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