गजेंद्र ठाकुर ✍️9302303212
स्वामी विवेकांनद विश्वविद्यालय में आपदा प्रबंधन एवं अग्नि सुरक्षा का हुआ प्रशिक्षण
सागर । 15 दिवसीय आपदा प्रबंधन एवं अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण के अंतर्गत स्वामी विवेकांनद विष्वविद्यालय सिरोंजा सागर में शा. उत्कृष्ट महाविद्यालय सागर के छात्राओं द्वारा प्रषिक्षण लिया गया। कार्यक्रम का षुभारंभ षासकीय नियमानुसार राष्ट्रगान के साथ हुआ। अतिथि परिचय एवं स्वागत के उपरांत इस अवसर पर महिला सषक्तिकरण एवं स्वसुरक्षा विषय पर विषिष्ट अतिथि एवं भारतीय स्त्री शक्ति की जिला संयोजक की आसंदी से अपना वक्तव्य देते हुए डाॅ.प्रतिभा तिवारी ने कहा- जहाँ महिलाओं को सषक्त और समर्थ होने की आवष्यकता है वहीं किसी भी आपदा से अपने को सुरक्षित रखते हुए प्रत्येक क्षेत्र में दक्ष होना भी आवष्यक है न केवल यह प्रषिक्षण स्वयं के लिए अपितु व्यवसायिक वातावरण में भी उपयोग होता है। हमारे दैनिक जीवन में हमारा सर्वप्रथम संपर्क अग्नि से होता है और उसके प्रति हमें पूर्णतः सजग रहना चाहिए। यद्यपि आज महिलायें जागरूक चेतना और आत्मविष्वास के भाव से परिपूर्ण हैं और अपनी क्षमता का विकास करती महिला अपने कौषल, बुद्धि तथा विवेक से अपनी पहचान बना रही हैैं। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आपके द्वारा लिया जाता है यह प्रषिक्षण है। विविध घरेलू दायित्वों का निर्वाहन करती महिला के लिए यह भी आवष्यक है कि षिक्षण प्रषिक्षण हेतु उपर्युक्त वातावरण और सुविधा उसे मिले जिससे उनके कार्यक्षमता को देखते हुए अन्य महिलायें भी प्रोत्साहित हों और सक्षम, स्वस्थ्य, नागरिक बनाते हुए राष्ट्र में अपनी निष्चित सक्रिय सहभागिता का प्रदर्षन करें। मुख्य अतिथि श्री विनीत तिवारी राज्य आपदा मोचक बल ने इस प्रषिक्षण के सहयोग के लिए स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय की प्रषंसा की तथा आपदा में अपनी विवेक और संयम और बुद्धि के प्रयोग के लिए संयमित रहते हुए जीवन यापन का संदेष दिया। प्राध्यापक डाॅ.भावना रमैया कार्यक्रम संयोजक ने कहा- कि मैंने अपने षैक्षिक जीवन में आपदा प्रबंधन जैसे विषय को चुनकर वर्तमान जीवन में उसे प्रषिक्षक बनकर निभाने का जो अवसर मिला जो मेरे लिए लाभदायक है। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रबंध निदेषक डाॅ.अनिल तिवारी जी ने कहा कि- मनुष्य को केवल पाठ्यक्रम आधारित षिक्षा को ही महत्व नहीं देना चाहिए उन विषयों को भी सीखने की आवष्यकता है जो जीवन के लिए लाभकारी है। यदि हम आपदा के विषय से परिचित हो जाये तो हमारे आसपास होने वाली घटनाओं के लिए हम अपने जीवन के साथ-साथ अन्य लोगों की सुरक्षा भी कर सकने में सक्षम होंगे। आपने पुरातन काल के विषय को उद्धृत करते हुए बताया कि हमारे मनीषी 16, 14, 64 कलाओं में पारंगत होते थे इसका तात्पर्य है कि वो षैक्षणिक एवं षिक्षकेत्तर विषयों का भी ज्ञान प्राप्त करते थे और वो अन्य जन से श्रेष्ठ होते थे। यह प्रषिक्षण आपके लिए विषिष्ट उपलब्धि साधन है। निदेषक, आपदा प्रबंधन एवं अग्नि सुरक्षा श्री मनीष दुबे के द्वारा आभार ज्ञापित किया गया। तदोपरांत श्री मनीष कुमार षुक्ला, श्री ए.के. सिंह, श्री विषाल मिश्रा, श्री वीरू यादव द्वारा छात्राओं को प्रषिक्षण दिया गया। जिसमें सभी छात्राओं ने पूर्ण मनोयोग से प्रषिक्षण प्राप्त किया। माडल की प्रस्तुति करण भैया हनी दुबे के द्वारा किया गया। व्यवस्था प्रबंधन हेतु केप्टन पी.के.दत्ता का सहयोग सराहनीय रहा। इस अवसर पर कुलपति डाॅ.राजेष दुबे श्री भवानी सिंह, श्रीमती षैलबाला बैरागी, श्रीमती ज्योती गौतम, की उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ मंच संचालन डाॅ.ममता सिंह द्वारा किया गया। शांतिमंत्र के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।