चुनावी वर्ष में नेताओ द्वारा घोषणाएं तो आम बात हैं पर कुछ घोषणाएं तो संभव कैसे हो जब पूछा जाता हैं तो खुद नेताजी बगले झांकने लगते हैं…
ऐसा ही एक मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की एक घोषणा से जुड़ा हुआ सामने आया हैं..
भोपाल–/चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एक बार फिर घोषणाओं की झड़ी लगा दी हैं, लगातार घोषणाएं की जा रही है, कई घोषणाएं ऐसी भी है जिनका पूरा होने पर भी सवालो के घेरे में है, ऐसी ही एक घोषणा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, जहा सीहोर जिले के नसरूल्लांगज तहसील के ओलावृष्टि से प्रभावित गांवों का दौरा करते समय सीएम ने किसानों को राहत देने के लिए एक एलान ऐसा भी कर डाला जहा अवैध कब्जे की जमीन पर खड़ी फसल को नुक्सान हुआ तो उसे भी मुआवजा दिया जाएगा,जी हाँ अगर किसी दवंग ने अवैध कब्जा कर किसी शासकीय,अशासकीय जमीन पर कब्जा कर फसल बोई हैं और वह ओलावृष्टि से खराब हो जाती हैं तो मप्र सरकार उसको बाकायदा मुआवजा देगी जबकि वैध कब्जे वाली जमीन पर हुई खेती को भी नाजायज ही माना जाता है और प्रशासन भी खुद कई बार फसल की जब्ती भी कर करता हैं,
अब इस घोषणा के बाद चर्चाएं बढ़ गई है, एक बार फिर अफसरों ने सीएम से ऐसी घोषणा करवा दी है जो कभी पूरी नहीं हो सकती, चाहे निजी भूमि पर कब्जे का मामला हो या सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा,उस जमीन पर मुआवजा देने का प्रावधान RBC के नियमों में नहीं है, तो अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर इस घोषणा का क्या होगा, वहीं विपक्ष पहले से ही सरकार पर हमले बोल रहा है और मुख्यमंत्री की इस घोषणा को भी जुमला बताया है,
वहीं सीएम की राहत राशि बढ़ाने की घोषणा के मद्देनजर राजस्व विभाग ने नियमों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है,बताया जा रहा है कि मामले को कैबिनेट में रखकर राजस्व परिपत्र पुस्तिका की धारा 6/4 में संशोधन किया जाएगा, पहले दो हेक्टेयर से कम सिंचित रकबे वाले किसान को प्राकृतिक आपदा के तहत 15 हजार रुपए अधिकतम राहत दी जाती हैं, इसे बढ़ाकर 30 हजार रुपए किया जा रहा है। इसी तरह असिंचित दो हेक्टेयर तक के किसानों को 16 हजार रुपए तक आर्थिक सहायता मिलेगी,जबकि दो हेक्टेयर से ज्यादा के सिंचित रकबाधारक किसानों को 27 हजार और असिंचित रकबे में खेती करने वालों को 13 हजार रुपए तक राहत राशि दी जायेगी !सूत्र