अवसाद की स्थिति में संवादहीनता से बचें-मनोचिकित्सक डॉ . आदित्य दुबे
सागर 22 मार्च 2021 मानव जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित होती है कि जबकि उसके जीवन में नकारात्मकता, संदेह, भय, बैचेनी जैसी स्थितियाँ बन जाती है, तब ऐसी स्थिति में मानव को अपने परिवार के , मित्रों से , अपने शुभचिंतकों से लगातार अपनी बातों को कहता रहे संवादहीनता व्यक्ति को गहरे अवसाद में ले जाती है। यह विचार जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ . आदित्य दुवे ने सर हरीसिंह गौर महाविद्यालय लक्ष्मीपुरा सागर में आयोजित मनोचिकित्सा की आवश्यकता विषय पर केन्द्रित व्याख्यान माला में कहीं । उन्होंने कहा कि मेडीकल क्षेत्र में पागलपन अवसाद विभिन्न तरह के नशे की समस्याओं को लेकर उनके उपाय खोज लिए गए है आवश्यकता इस बात की है इनसे संबंधित व्यक्ति उपचार के लिए सही जगह पहुंचाएं जाये इसके लिए जागरूकता की आवश्यकता है । विनय मिश्रा ने डॉ . आदित्य का परिचय देते हुए कहा कि युवाओं को चिन्ता की जगह चिन्तन करना चाहिए । संस्था के प्राचार्य डॉ . अरविन्द जैन ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों व्यक्ति को युवाओं को अमित कर रही हैं वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ शशीकांत शुक्ला ने कहा कि प्रत्येक नए अविष्कार के दो पहलू होते है नकरात्मक और सकरात्मक हमें सकरात्मक कदम की ओर जाना चाहिए व दिनचर्चा में स्क्रीन टाइपिंग का ध्यान रखना चाहिए आप हमेशा अच्छा रचनात्मक साहित्य पढ़े तो कभी अवसाद इत्यादि हो नहीं सकती डॉ . सर्वेश्वर उपाध्याय ने संचालन करते हुए कहा कि नशा कोई भी उसका असर आर्थिक पारिवारिक व सामाजिक स्थिति पर पड़ता है इसलिए हमें जागरूक रहना चाहिए , कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ . एम.एल. नेमा , डॉ . राघवेन्द्र ठाकुर , अभय जैन . श्रीमती मंजूलता ठाकुर , विकास तिवारी , ब्रजेश मिश्रा , प्रियक दुवे , राजेन्द्र खरे , अनिल चक्रवर्ती अजय छाबड़ा , के.एस. चैरसिया , संजय , राजा , पुरसोत्तम सहित अनेक छात्र छात्रायें उपस्थित थे ।
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