Sagar : 11 वर्षीय बच्ची से गैंगरेप और हत्या के मामले में हाईकोर्ट का फैसला
सागर, मध्य प्रदेश – 2019 में सागर जिले के बंडा तहसील में 11 वर्षीय बच्ची से गैंगरेप के बाद उसकी गला काटकर हत्या के मामले में जिला कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने आरोपी बंसीलाल अहिरवार को दोषमुक्त कर दिया, जबकि रामप्रसाद अहिरवार की फांसी की सजा को बदलकर 25 साल के कारावास में परिवर्तित कर दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
13 मार्च 2019 को बंडा में इस जघन्य अपराध की घटना सामने आई थी, जिसमें 11 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। 14 मार्च को बच्ची की सिर कटी लाश बेरखेड़ी मौजाहार इलाके में मिली थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ गैंगरेप की पुष्टि हुई थी।
जांच में पाया गया कि आरोपी रामप्रसाद अहिरवार और बंसीलाल अहिरवार ने बच्ची के साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया और फिर हंसिए से उसका गला काटकर हत्या कर दी। जिला सत्र न्यायालय सागर ने 2019 में इस मामले को विरले से विरलतम श्रेणी में रखते हुए दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट का फैसला
शुक्रवार को जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देव नारायण मिश्रा की युगलपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए रामप्रसाद अहिरवार की फांसी की सजा को 25 साल के सश्रम कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने यह फैसला इस आधार पर सुनाया कि रामप्रसाद ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था और वह पेशेवर हत्यारा नहीं है। यह उसका पहला अपराध था और उसकी सामाजिक आर्थिक स्थिति तथा शिक्षा के स्तर को ध्यान में रखते हुए उसे मृत्युदंड के बजाय सुधार का मौका दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में नहीं आता, जहां केवल मृत्युदंड ही उचित सजा हो। कोर्ट ने रामप्रसाद की पृष्ठभूमि और अपराध कबूलने के कारण उसे फांसी की सजा से माफी दी, जबकि बंसीलाल को दोषमुक्त कर दिया गया।
मामले की सुनवाई और दलीलें
सुनवाई के दौरान आरोपी रामप्रसाद के वकील, सीनियर एडवोकेट मनीष दत्त ने दलील दी कि रामप्रसाद एक आदतन अपराधी नहीं है और उसके पहले किसी भी आपराधिक मामले में लिप्त होने का कोई प्रमाण नहीं है। इसके अलावा, सरकारी वकील बच्ची की वास्तविक आयु सिद्ध करने में भी असफल रहे। कोर्ट ने इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए रामप्रसाद की सजा को कम कर दिया।