विश्वविद्यालय: जनसमर्थन से बनेगी हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता

विश्वविद्यालय: जनसमर्थन से बनेगी हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा- कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता

सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के राजभाषा प्रकोष्ठ के तत्त्वावधान में विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा का समापन समारोह एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम विश्वविद्यालय के रंगनाथन भवन में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शिक्षा विद एवं प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री शोभा पैठणकर थीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की. इस अवसर पर हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, प्रभारी कुलसचिव डॉ. एस. पी. उपाध्याय एवं संयुक्त कुलसचिव एवं प्रभारी हिंदी अधिकारी संतोष सोहगौरा मंचासीन थे.
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य देते हुए संयुक्त कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने कहा कि हिंदी के प्रगामी प्रयोग के लिए हम सभी कटिबद्ध हैं और वह दिन दूर नहीं जब हिंदी न केवल राष्ट्रभाषा बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनेगी. उन्होंने हिंदी पखवाड़ा में हुए विभिन्न गतिविधियों पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. इस दौरान राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्मित वृत्त चित्र का प्रदर्शन भी किया गया. अतिथियों द्वारा राजभाषा प्रकोष्ठ की पत्रिका ‘भाषा-भारती’ का विमोचन किया गया.
अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार और बढ़ावा देने के लिए त्वरित गति से प्रयास किये जा रहे हैं. विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा में आयोजित विविध गतिविधियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के उद्देश्यों से प्रेरणा लेते हुए हम सभी कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें आज हिंदी की स्थिति पर चर्चा करते हुए इसके व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जिससे यह संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बन सके. आज दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में हिन्दी का पठन-पाठन हो रहा है. इसमें रोजगार के भी भरपूर अवसर हैं. आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का युग है. आज कम्प्यूटर बेस्ड हिन्दी टाइपिंग हो रही है. विश्वविद्यालय में हिन्दी क्लब की स्थापना की गई है जिसका उद्देश्य हिन्दी भाषी विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा से जोड़ना है और साथ ही उनकी मातृभाषाओं को अन्य भाषा-भाषियों से जोड़ना है. उन्होंने कहा कि हिन्दी को आगे ले जाने की भावना ही हिन्दी को आगे बढ़ाएगी. हिन्दी जन-जन की भाषा बने यही हमारा उद्देश्य होना चाहिए.

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए लक्ष्य के साथ कार्य करने की आवश्यकता- सुश्री शोभा पैठणकर

मुख्य अतिथि सुश्री शोभा पैठणकर ने हिन्दी पखवाड़ा के आयोजन के बारे कहा कि यह एक सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी आयोजन है. उन्होंने कहा कि आज हमें यह चिंतन करना चाहिए कि हिंदी राजभाषा से राष्ट्रभाषा क्यों नहीं बन पाई. यह तभी संभव है जब निर्धारित लक्ष्य के साथ कार्य किया जाए. सरकार इस दिशा में अपने प्रयास तो कर रही है लेकिन इसमें नागरिक समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. समाज में मानस परिवर्तन से ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित किया जा सकता है. हिन्दी अति समृद्ध भाषा है और इसमें रोजगार की असीम संभावनाएं हैं. राजभाषा नीति के उद्देश्यों के क्रियान्वयन और लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक विभाग को एक लक्ष्य के साथ कार्य करने की आवश्यकता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से मातृभाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा पर काफी महत्त्व दिया जा रहा है. इस प्रयास से निश्चित ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने का मार्ग प्रशस्त होगा.
प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने विवि में हिंदी क्लब की गतिविधियों एवं आगामी रणनीतियों की चर्चा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का हिन्दी विभाग ने भी हिन्दी पखवाड़ा आयोजित किया जिसमें विद्यार्थियों ने अभूतपूर्व ढंग से सहभागिता की. उन्होंने कहा कि हिन्दी को व्यापकता प्रदान करने में गैर हिन्दी भाषियों की भी काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है. हिन्दी क्लब द्वारा ऐसे पाठ्यक्रमों का सृजन किया जा रहा है जिससे सभी भाषा-भाषी एक मंच पर आ सकें और भाषाई एकात्मता विकसित हो सके.
कार्यक्रम का संचालन अनुवादक अभिषेक सक्सेना ने किया. कार्यक्रम में हिन्दी पखवाड़ा के दौरान प्रतिभागिता कर रहे केन्द्रीय विद्यालय के विजयी विद्यार्थियों, विवि के अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रयोगशाला सहायकों, प्रयोगशाला प्रेष्यों को नकद पुरस्कार, प्रमाण-पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये. इस अवसर पर वित्ताधिकारी कुलदीपक शर्मा, प्रो. अशोक अहिरवार, प्रो. नवीन कानगो, प्रो. चंदा बेन, डॉ. एस पी गादेवार, डॉ. पंकज तिवारी, उपकुलसचिव सतीश कुमार, विधि अधिकारी बृजभूषण सिंह, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. आशुतोष, डॉ. राकेश सोनी, डॉ. महेंद्र, डॉ. आयुष गुप्ता, डॉ. विवेक जायसवाल सहित विवि के कई शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.

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