MP के सागर में 900 साल पुराना शिव मंदिर, एक बार जल चढ़ाने से 108 बार जलाभिषेक होता हैं
सागर। हिन्दू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव के पूजन का महीना माना जाता है पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिव पूजा विशेष फलदायी होती है
यूं तो सारे भारत वर्ष में भगवान शिव के अनेकों प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर मठ मौजूद है जिनमे अनेक स्थान बहुत प्रसिद्ध है लेकिन देश में कुछ धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां के बारे में लोग बहुत कम जानकारी रखते हैं और ऐसे धार्मिक स्थलों में कुछ अत्यंत दुर्लभ स्थल है ।
भगवान शिव का ऐसा ही एक प्राचीन और अद्भुत शिवलिंग सागर जिले के राहतगढ़ में विराजित है
राहतगढ़ नगर
सागर जिले की पश्चिमी दिशा में सागर से 40 किलोमीटर दूर सागर भोपाल रोड पर स्थित है जो अपनी ऐतिहासिक रहस्य और रोमांच से भरी विरासतों के लिए जाना जाता है इस नगर को
राहतगढ़ नाम मुगलकाल में मिला जिसका अर्थ होता है शांति का गढ़ माना जाता है
इसके प्राचीन इतिहास की जानकारी स्थानीय स्तर पर नही मिलती पर लोग इस नगर को महाभारत कालीन तथा मध्यकाल में आल्हा ऊदल के समय से जोड़ते हैं वैसे ऐतिहासिक जानकारी के हिसाब से यहां कभी परमार चंदेल उसके बाद गौंड राजाओं का तथा मुगलों का आधिपत्य रहा 18वी शताब्दी में यह सिंधिया के हाथ में चला गया बाद में अंग्रेजों के कब्जे में रहा
इसी ऐतिहासिक नगर में बीना नदी जिसे पुराणों में *बीणा पाणिनि**कहा गया है के तट पर भोलेनाथ का मंदिर बना हुआ है स्थानीय लोग इसमे विराजित शिवलिंग को भगवान विश्वनाथ ्कहते हैं
पूर्णतः वास्तु शास्त्र के हिसाब से पत्थर से 8 हाथियों पर निर्मित इस मंदिर में अनेकों विशेषताएं है सूर्य की पहली किरण गर्भ गृह में विराजमान भोलेनाथ का अभिषेक करतीं हैं मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी विराजे हैं मुख्य द्वार पर मोर सर्फ को चोंच में दबाये है दस दिशाएं 64 योगनी बही गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है
यहां स्थापित शिवलिंग को एक ही पत्थर पर निर्मित किया गया है मुख्य शिवलिंग की जलहरी में छोटे छोटे 108 पूर्ण शिवलिंग स्थापित हैं हिन्दू मान्यताओं में ऐसे शिवलिंग को दुर्लभ कहा गया है
शिवलिंग की विशेषता बताते हुए यहां पिछली पीढ़ियों से पूजन करने वालो के वंसज तथा वर्तमान पुजारी बताते है कि इस शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने से 108 शिवलिंगों का स्वतः अभिषेक हो जाता है तथा मंदिर की एक परिक्रमा करने से एक बेलपत्र चढ़ाने से 108 का फल प्राप्त होता है साथ ही शिव पुराण के सोलहवें अध्याय में इसका वर्णन है।
जानकार लोग
इस शिवमंदिर के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी तो नही बता पाते पर उनका कहना है कि यह किले के राजाओं द्वारा बनवाया गया था जिस हिसाब से।मंदिर 1 हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताया जाता है
सावन मास के प्रत्येक सोमवार को तथा महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालु पहुंचते है
मंत्री गोविंद राजपूत के प्रयास से बदला मंदिर का परिदृश्य
इस शिव मंदिर के चारों तरफ सौंदर्य करण का कार्य चल रहा है जो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के प्रयास से किया जा रहा है मंदिर का सौंदर्य करण तो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है वही बाहर से आने वाले श्रद्धालु भगवान शिव के इस रूप 108 शिवलिंग को देखकर आश्चर्य चकित एवं अपने आप को धन्य मानते हैं