सागर । नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी – सोनू पिता लालचंद अहिरवार, बहादुर पिता शेखर अहिरवार एवं राजवीर पिता हरिचंद अहिरवार को विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा-354 सहपठित धारा-34 के तहत 01 वर्ष सश्रम कारावास व दो सौ रूपये अर्थदण्ड एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 9 (जी)सहपठित धारा 10 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास व पॉंच सौ रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी विषेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पटैल ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/पीड़िता ने थाना मकरोनिया में रिपोर्ट लेख कराई कि दिनंाक 16.04.21 को शाम 04ः45 बजे जब पीड़िता अपनी छोटी बहिन के साथ कोचिंग करके घर वापस आ रही थी तभी रास्ते में आरोपी बहादुर अहिरवार, विधि का उल्लंघन करने के लिए अभिकथित बालक, सोनू अहिरवार व राजवीर अहिरवार, निवासी कोरेगांव आए और आरोपी बहादुर उससे कहने लगा कि वह उसके साथ घूमने चले। पीड़िता द्वारा मना करने पर आरोपी सोनू ने बुरी नियत से उसका हाथ पकड़ लिया, जब उसने अपना हाथ छुड़ाया तो विधि का उल्लंघन करने के लिए अभिकथित बालक और आरोपी राजवीर दोनों मिलकर उससे कहने लगे कि यदि वह उनकेे साथ नही चलेगी तो उसे व उसके परिवार को जान से खत्म कर देंगे। मौके पर घटना उसकी छोटी बहिन व आसपास के लोगों ने देखी सुनी है तब पीड़िता ने घर वापस आकर गुस्से में घर में रखी कीड़े मारने वाली दवा खा ली जिससे उसकी तबीयत खराब होने लगी तो उसके माता-पिता आ गए जिन्हें उसने सारी घटना बताई फिर वे लोग उसे इलाज के लिए डाक्टर के पास ले गए वहां उसका प्रारंभिक इलाज हुआ, फिर वहां से वे लोग तिली अस्पताल सागर गए। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-मकरोनिया द्वारा आरोपी सोनू अहिरवार, बहादुर अहिरवार, राजवीर अहिरवार के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 354, 354(ए)(प) सहपठित धारा 34, 506 (भाग दो) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 9जी सहपठित धारा 10 के अंतर्गत, का अपराध आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीष श्रीमती ज्योति मिश्रा जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।