विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर कोर्ट परिसर में जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ

विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर कोर्ट परिसर में जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
तम्बाकू से प्रतिवर्ष 80 लाख लोग बीमारी की चपेट में आते हैं ‘‘न खुद खायें, न ही किसी को खाने दें‘‘ तम्बाकू
खबर गजेन्द्र ठाकुर✍️-9302303212
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सागर 31 मई 2022 । आज नशा मुक्त भारत अभियान के तहत विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जिला कोर्ट परिसर के एडीआर भवन में जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला अधिवक्ता संघ और टीबी विभाग बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) के द्वारा किया गया।  कार्यक्रम में तम्बाकू और उसके उत्पादों से होने वाली केंसर सहित विभिन्न गंभीर बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक किया गया । इस अवसर पर जिला न्यायाधीष एवं सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण मनीष भट्ट, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अंकलेष्वर दुबे, डा. तल्हा साद, संयुक्त संचालक हेल्थ डॉ नीना गिडियन, आईएमए के अध्यक्ष डा. चौउदा, सीएमएचओ डा. डीके गोस्वामी, सिविल सर्जन, डा. ज्योति चौहान, डा. उमेष पटेल, डा. सुमित रावत, प्रभारी संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय विभाग मनीषा चतुर्वेदी सहित अधिवक्तागण तथा नागरिकगण मौजूद थे।
कार्यक्रम में जिला न्यायाधीष एवं सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण मनीष भट्ट ने लोगों से अनुरोध किया कि तम्बाकू और गुटका का सेवन न करें। सभी प्रकार के नषों से दूर रहें। उन्होंने कहा कि नशा परिवार का एक व्यक्ति करता है और पूरा परिवार उसकी कीमत चुकाता है।
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अंकलेष्वर दुबे ने कहा कि नशा जीवन का नाश कर देता है। पारिवारिक जीवन और आर्थिक विकास को हानि पहुंचाता है। इसलिए तम्बाकू से दूर रहें। उन्होंने कोरोना काल में बीएमसी के चिकित्सकों द्वारा दी गई सेवाओं की सराहना की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टीबी एवं चेस्ट रोग विषेषज्ञ डा. तल्हा साद ने कहा कि तम्बाकू और उसके उत्पादन के सेवन में प्रतिवर्ष विष्व में 80 लाख से अधिक व्यक्ति विभिन्न बीमारियों की चपेट में आते हैं। तम्बाकू से बीमारियां ही नहीं होती, बल्कि पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचता है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर लोग हर कहीं तम्बाकू और गुटका खाकर थूकते है। गंदगी फैलाते हैं। वे नहीं जानते हैं कि कैसे खांसना है। खांसते समय यदि मुंह नीचे करके कोहनी लगा लें, तो इससे ड्रापलेट दूसरे व्यक्ति के अंदर तक नहीं पहुंचेंगा और खांसने से बीमारियां भी नहीं पहुंचेंगी। जो बच्चे तम्बाकू का सेवन करते हैं। उनके फेफड़ों का सही ढंग से विकास नहीं हो पाता है।
डा. चौउदा ने कहा कि फेफड़ों में होने वाली बीमारियों का एक प्रमुख कारण तम्बाकू है। उन्होंने बताया कि कैंसर, मुंह का कैंसर, गले का कैंसर का भी एक कारण तम्बाकू होता है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू का सेवन करने वालों की ब्लड वैसल सुकुड़ती है। इससे बीपी, ह्रदय संबंधी रोग एवं अन्य बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है। जिन्हें डायबिटिज है और तम्बाकू का सेवन करते है तो उनके पैरों में झिनझिनी, शून्यपन्न की षिकायत होती है। किडनी, पैरालिसिस जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।
संयुक्त संचालक डा. नीना गिडियन ने बताया कि बांझपन और नपुंसकता का एक कारण तम्बाकू सेवन भी है। पुरूष के स्पर्म की क्वालिटी कमजोर हो जाती है। जब स्वस्थ बच्चे नहीं होंगे, तो स्वस्थ समाज कैसे बनेगा। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि गुटका और तम्बाकू न तो खुद खायें, न ही किसी खाने दें।
कार्यक्रम में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा लोगों से नशा न करने का शपथ-पत्र भरवाये गए।  

 

 

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