गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना कई विवादों का समाधान है- भाजयुमो जिलाध्यक्ष अर्पित पांडे
गाय भारतीय संस्कृति का पुरातन काल से एक अहम हिस्सा रही है हिंदू धर्म में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान बग़ैर गाय के दुध, दही, गोबर के वगेर पूर्ण होना संभव नहीं हे,वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह सुझाव कि केंद्र सरकार को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए निश्चित रूप से देश के बहुसंख्यक हिंदू समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ है जिसका व्यापक समर्थन विभिन्न मीडिया एवं शोशल मीडिया माध्यमों से गौ प्रेमीयो एवं बहुसंख्यक हिंदुओं ने लोगों के सामने रखा है,वास्तव में गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने से गौ तस्करी,गौ हत्या जैसी घटनाओं पर विराम लगेगा जो अपने आप में देश में होने वाले कई विवादों का समाधान होगा,देश में होने वाली हिंदू-मुस्लिम विवाद की घटनाओं में अधिकांश का कारण लव जिहाद या गौ हत्या,गौ तस्करी के कारण उत्पन्न होता है, देश में गोमांस खाने वाले लोगों को भी यह बात समझनी होगी कि देश के बहुसंख्यक समाज की भावनायें गाय के प्रति धार्मिक है,हिंदुओं ने सनातन काल से गाय को माँ के समान पवित्र दर्जा दिया हैं,वास्तव में जहाँ यह बीफ़ खाने वालों के लिए सस्ता भोजन मात्र है वही हिंदुओं के लिए सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का केंद्र है. गाय सनातन काल से हिंदुस्तान की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है जिसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसी एक धर्म की नहीं बल्कि देश में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों की है,राष्ट्रीय सम्मान निश्चित रूप से गोहत्या-गौ तस्करी से जुड़ी घटनाओं पर विराम लगाएगा. गौ मांस भक्षण करने वाले लोगों को भी आपसी भाईचारे की भावना को समझते हुए अपनी आदतों में बदलाव करने के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुझाव का समर्थन करना चाहिए.बहरहाल गाय की सांस्कृतिक एवं धार्मिक भावना,हिंदुओं की आस्था का केंद्र और भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गाय से जुड़े आर्थिक लाभों को देखते हुए हुए केंद्र सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुझाव को अमल में लाने के लिए ठोस क़दम उठाने चाहिए।