मूल अवधारणाओं को पहचान कर ही बहु-विषयक तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए– प्रो दिवाकर सिंह राजपूत
सागर–
“शिक्षा और शोध में आज मल्टी-डिसीप्लिनरी एप्रोच का महत्व बढ़ता जा रहा है, ऐसे में किसी विषय की मौलिकता बनाये रखते हुए अन्य विषयों की अध्ययन तकनीकी का सहारा लेकर शोधकार्य को उत्कृष्ट स्वरूप दिया जा सकता है।” ये विचार दिये प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने रिफ्रेशर कोर्स में विषय विशेषज्ञ के रूप में उदबोधन देते हुए। सरदार पटेल यूनिवर्सिटी वल्लभ विद्या नगर गुजरात के मानव संसाधन विकास केंद्र द्वाराआयोजित ऑनलाइन नवाचार पाठ्यक्रम में आमंत्रित वक्ता के रूप में उदबोधन देते हुए प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस दौर में शिक्षा में गुणवत्ता के लिए बहुआयामी अध्ययन की जरूरत है। समाज और विश्व की जटिलता में समस्याओं के समाधान हेतु शोध कार्य व शिक्षण के लिए विद्यार्थियों को भी बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इसलिए अपने मूल विषय के साथ अन्य संबंधित विषयों की तकनीकी जानकारी भी बेहद जरूरी हो जाती है । विश्व के सभी शैक्षणिक संस्थानों और नीति निर्माताओं ने इसके महत्व को पहचानते हुए मल्टी-डिसीप्लिनरी एप्रोच को बढावा दिया जा रहा है। डाॅ राजपूत ने कहा कि इससे विद्यार्थियों में बहुआयामी व्यक्तित्व और वृहद् दृष्टिकोण को आधार मिलता है।
ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स में देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षकों ने सहभागिता की। प्रश्नों के माध्यम से उन्होंने अपनी जिज्ञासायें रखी, जिनका समाधान विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने किया।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ अरविंद ककुलटे ने किया और प्रो इला मकवान ने आभार व्यक्त किया।