85 पैमानों पर परखी जाएगी जिलों की कार्यप्रणाली, कलेक्टर-एसपी के प्रदर्शन से तय होगी आगे की तैनाती
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में आर्थिक गतिविधियों को गति देने और उद्योग व निवेश को बढ़ावा देने के लिए बीते समय में कई योजनाएं और नीतिगत कदम लागू किए हैं। इन प्रयासों के साथ-साथ रोजगार सृजन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और पोषण स्तर सुधार पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जिनके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। अब सरकार इन योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन की जिलावार समीक्षा कराने जा रही है।
इसके तहत जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के कार्यों का मूल्यांकन 85 तय मानकों पर किया जाएगा। यही मूल्यांकन आगे चलकर वरिष्ठ अधिकारियों की आगामी पदस्थापना का प्रमुख आधार बनेगा।
सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी संबंधित विभागों से कृषि, स्वास्थ्य एवं पोषण, रोजगार, उद्योग व निवेश, नगरीय विकास, सुशासन, शिक्षा, कानून-व्यवस्था, ग्रामीण विकास और जनजातीय कार्यों से जुड़ी विस्तृत प्रगति रिपोर्ट तलब की है। इन रिपोर्टों के आधार पर 5 जनवरी को आयोजित कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में मुख्य सचिव अनुराग जैन समीक्षा करेंगे। इस बैठक में जिला पंचायत और स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, साथ ही नगर निगम आयुक्त वर्चुअल माध्यम से शामिल होंगे।
समीक्षा के बाद प्रदेश के जिलों को प्रदर्शन के आधार पर तीन श्रेणियों—पांच श्रेष्ठ, पांच मध्यम और पांच कमजोर—में वर्गीकृत किया जाएगा।
इन मानकों पर होगा आकलन
कृषि क्षेत्र:
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, भावांतर भुगतान योजना का क्रियान्वयन, खाद वितरण व्यवस्था, पराली व नरवाई जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई का विस्तार, उद्यानिकी फसलों की क्लस्टर आधारित खेती, फूलों की खेती, ‘एक बगिया मां के नाम’ अभियान, कामधेनु योजना, गोशालाओं की संख्या में वृद्धि सहित अन्य बिंदु शामिल हैं।
स्वास्थ्य एवं पोषण:
गर्भवती महिलाओं का एएनसी पंजीयन, एनीमिया पीड़ित गर्भवतियों का उपचार, मातृ मृत्यु प्रकरणों की समीक्षा, गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल, बाल मृत्यु की समीक्षा, सिकल सेल रोगियों का उपचार प्रतिशत, गर्भवती महिलाओं की समग्र जांच, टीबी स्क्रीनिंग, एक्स-रे सुविधा और पोषण बास्केट वितरण की स्थिति देखी जाएगी।
रोजगार, उद्योग एवं निवेश:
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत जिला समन्वय समिति की सक्रियता, कौशल विकास समिति का कामकाज और ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना की प्रगति का मूल्यांकन होगा।
नगरीय विकास:
प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, अमृत योजना, पीएम स्वनिधि योजना, अवैध कॉलोनियों पर नियंत्रण, ईडब्ल्यूएस भूखंडों का निस्तारण, गीता भवन योजना का क्रियान्वयन, मेट्रोपॉलिटन प्लान, नगरीय यातायात व्यवस्था और नर्मदा परिक्रमा पथ पर सीवरेज योजना शामिल हैं।
सुशासन:
नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन से जुड़े लंबित मामलों की स्थिति, राजस्व रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, स्वामित्व योजना और सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण की समीक्षा होगी।
शिक्षा:
नामांकन बढ़ाने, ड्रॉपआउट दर कम करने, आंगनबाड़ी और प्री-प्राइमरी में प्रवेश, मिशन अंकुर और छात्रवृत्ति योजनाओं की प्रगति को परखा जाएगा।
ग्रामीण विकास:
मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना, पंचायत स्तर पर नए राजस्व स्रोतों का विकास, नल जल योजनाओं का क्रियान्वयन, प्रधानमंत्री आवास योजना, लखपति दीदियों को बैंक ऋण, किसान क्रेडिट कार्ड और नर्मदा परिक्रमा पथ से जुड़े विकास कार्यों का आकलन होगा।
कानून-व्यवस्था:
संवेदनशील बस्तियों के लिए जोनल प्लान, माओवादी गतिविधियों के पूर्ण उन्मूलन की स्थिति, अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई, महिला अपराधों को लेकर जागरूकता, ड्रग्स व अन्य नशे के खिलाफ अभियान, अनुसूचित जाति-जनजाति के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम, सड़क सुरक्षा और नए कानूनों का प्रचार-प्रसार शामिल रहेगा।
विविध श्रेणी:
एयर एंबुलेंस सेवा, साइबर अपराध से बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम, शस्त्र लाइसेंस डिजिटल पोर्टल, डॉग बाइट के प्रकरण, धान उपार्जन और भूमि अधिग्रहण से जुड़े कार्यों की भी समीक्षा की जाएगी।
इस व्यापक मूल्यांकन के जरिए सरकार का उद्देश्य जिलों में योजनाओं की वास्तविक स्थिति को परखना और प्रशासनिक कार्यक्षमता को और बेहतर बनाना है।

