विश्व एनेस्थीसिया दिवस सागर में मनाया गया
सागर। विश्व एनेस्थीसिया दिवस के अवसर पर इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजी, सागर शाखा द्वारा सिविल लाइंस स्थित एक होटल में गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सर्वेश जैन के व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने एनेस्थीसिया के विकास में हुई ऐतिहासिक घटनाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 1846 से पूर्व किसी भी प्रकार का ऑपरेशन — छोटा हो या बड़ा — अत्यंत पीड़ादायक एवं अमानवीय अनुभव हुआ करता था. उस समय दर्द से कराहते मरीजों पर त्वरित रूप से सर्जरी की जाती थी, जिससे मृत्युदर और संक्रमण दर दोनों अधिक थे. प्राचीन ब्रिटेन और अमेरिका में सर्जन का कार्य प्रायः नाई (बार्बर) किया करते थे.
डॉ. जैन ने बताया कि इसी दिन 1846 में अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में दंत चिकित्सक डॉ. विलियम मॉर्टन ने पहली बार ईथर गैस का प्रयोग कर मरीज को बेहोश किया, जिससे सर्जन ने बिना दर्द के सफल ऑपरेशन किया.यही दिन आधुनिक एनेस्थीसिया की जन्मतिथि के रूप में इतिहास में दर्ज हुआ.
इस अवसर पर सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. शशिबाला चौधरी, सचिव डॉ. अजय सिंह एवं कोषाध्यक्ष डॉ. मनोज साहू को हाल ही में आयोजित राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस में “बेस्ट सिटी ब्रांच” पुरस्कार प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम में भारत में वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Temperament) की कमी पर भी चर्चा हुई.वक्ताओं ने कहा कि आज भी अधिकांश आविष्कार विदेशों में हो रहे हैं, जबकि भारत में समाज अभी भी जाति और धर्म जैसे विषयों में उलझा हुआ है.
कार्यक्रम में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सत्येंद्र उइके, जिला चिकित्सालय से डॉ. प्रीति तिवारी, डॉ. अंशुल नेमा एवं डॉ. गौरव सेन उपस्थित रहे.प्राइवेट प्रैक्टिशनरों में डॉ. कविता साहू और डॉ. स्वाति जैन की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही.


