सागर में रंगसाधक थिएटर ग्रुप द्वारा नाटक ‘सन् 2025’ का मंचन हुआ

सागर में रंगसाधक थिएटर ग्रुप द्वारा नाटक ‘सन् 2025’ का मंचन हुआ

सागर। रंगसाधक थिएटर गु्रप सागर द्वारा रविन्द्र भवन सागर में नाटक ‘सन् 2025’ का मंचन रविवार 16 मार्च को किया गया जिसमें दो शो हुए। विदित है कि पिछले साल 4 अगस्त को पुलिसकर्मियों के लिए नि:शुल्क विशेष शो को मिलाकर नाटक के तीन शो हो चुके हैं। रविवार को इस नाटक का चौथा और पाँचवा मंचन था।
सुधी दर्शकों की हार्दिक मांग और उड़ीसा फेस्टिवल में बेहतर से बेहतर प्रस्तुति को ध्यान में रखकर ये 2 शो सागर के दर्शकों को समर्पित रहे।
नाटक सन 2025 एक लेखक धीरज अधिकारी ब्रम्हात्मे और एक प्राइवेट डिटेक्टिव सूफी के इर्द-गिर्द बुनी गई एक बहुत ही
रोचक, रोमांचक और चुटीली कथावस्तु से परिपूर्ण है। दरअसल लेखक पुलित्जर अवार्ड के साथ ही ऐसे बड़े-बड़े अवॉर्ड विनर एक अपराध उपन्यासकार है जो कि अपने अनुभव से अपने उपन्यासो को रचता है। वह 22 उपन्यास लिख चुका है और 23वे नोबेल की विषय वस्तु की तलाश में वह मुंबई के एक फाइव स्टार होटल के सुईट में एक प्रसिद्ध फिल्म स्टार और एक एनआरआई लड़की के साथ ठहरा हुआ है। वह एक बहुत ही प्रसिद्ध लेखक है और एक सेलिब्रिटी का दर्जा उसे हासिल है। रोचक मोड़ तब आता है जब एक प्राइवेट डिटेक्टिव सूफी, जो कि उसका बहुत बड़ा प्रशंसक भी है और लंबे समय से उसका पीछा भी करता आ रहा है, जैसे तैसे उसके कमरे में घुस आता है ब्रह्मात्मे की तमाम खुशामद करके सूफी उसके कमरे में टिक जाता है और बातों ही बातों में परत दर परत एक के बाद एक कई रहस्य से पर्दा हटाता जाता है। अपने पास बड़ी मशक्कत से हासिल सबूतों के जरिए सूफी ब्रह्मत्मे के सारे उपन्यासों की कथावस्तु और ठीक उसी तरह की चंद सत्य घटनाओं में संबंध साबित कर देता है और उन्हीं सबूतों के बल पर न सिर्फ ब्रह्मात्मे को अपने अपराध कबूल करने पर मजबूर कर देता है बल्कि उसे ब्लैकमेल करके उससे पैसे ऐंठने की कोशिश भी करता है। अय्याश प्रवृत्ति का शातिर अपराधी ब्रह्मत्मे पलटवार करते हुए अपनी रिवाल्वर की नोट पर सूफी को होटल की पांचवी मंजिल के सुईट की खिड़की से कूद कर आत्महत्या करने पर मजबूर कर देता है और इस तरह से उसे अपने अगले नोबेल का मसौदा मिल जाता है। अपने सेक्रेटरी जमील के साथ मिलकर होटल मैनेजर को भी अपने साथ मिलकर वह बड़ी सफाई से बच निकलता है।
मुख्य रूप से दो पत्रों पर केंद्रित सस्पेंस क्राइम थ्रिलर इस नाटक पर निर्भया कांड की छाया है। यह नाटक कई मानवीय और मनोवैज्ञानिक शून्यताओं और उनसे उपजे अनेक प्रश्नों को हमारे सामने रखता है और अपने में समाहित अनेक रूपकों के माध्यम से उन प्रश्नों के जवाब भी हमें सुझाता है।
नाटक निर्देशक की नजर से…
यह नाटक आधुनिकता और विकासशीलता की अंधी दौड़ -अपनी तनाव व भागम भाग भरी जीवन शैली के बीच किसी भी तरह एक पल की शांति के सुख की चाह में, हमारे सस्ते चार्म्स के प्रति हमारी लोलकता की ओर इशारा करता है। हम आजकल जिस तरह का कंटेंट पसंद कर रहे हैं, मेरे नजरिए से उसकी समझ में कोई जरूरत नहीं जान पड़ती, लेकिन फिर भी हम उसे ब्लॉकबस्टर बना देते हैं। अब ऐसे में जिनको हमारे द्वारा खलनायक साबित किया जाना चाहिए, हम उसे ही हीरो का ताज पहनकर अपना आदर्श बना लेते हैं।
ये, और इसी तरह के अनगिनत प्रश्न हमारे सामने रखता है यह नाटक। भले ही इस नाटक का कथ्य एक दशक के रूप में हमें ही दोषी क्यों ना ठहराए, लेकिन हम इसी तरह का कंटेंट आगे भी पसंद करते रहेंगे.. और जो हमें पसंद है वह है – वीभत्स और खौफनाक..!!
नाटक में यह कलाकार रहे शामिल
नाटक में मंच कलाकर ब्रह्मात्मे – मनोज सोनी, सूफी – संदीप दीक्षित / जितेन्द्र सोनी, जमील – अभिषेक दुबे, बॉलीवुड स्टार /एनआरआई गर्ल – आयुषी चौरसिया, होटल मैनेजर – जितेन्द्र सोनी / संदीप दीक्षित द्वारा नाटक का मंचन किया गया।
वहीं मंच परे कलाकारों में प्रकाश – संदीप बोहरे, ध्वनि प्रभाव संचालन/ प्रोडक्शन मैनेजर – अभिषेक दुबे, स्टेज मैनेजर – जितेन्द्र सोनी/ संदीप दीक्षित , मेकअप – आयुषी चौरसिया, निर्देशन – मनोज सोनी, लेखक – एनएसडी कलाकार पीयूष मिश्रा हैं।

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