हाईकोर्ट की सख्ती: PWD के मुख्य अभियंता पर ₹1 लाख का जुर्माना, जेब से भरनी होगी राशि
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के मुख्य अभियंता एससी वर्मा पर कोर्ट को गुमराह करने के आरोप में ₹1 लाख का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह राशि अभियंता को अपनी जेब से भरनी होगी और इसे हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति कोष में जमा करना होगा।
कोर्ट ने अधिकारियों पर जताई नाराजगी
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि मुख्य अभियंता ने जानबूझकर गलत जानकारी देकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अदालत ने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं कि अभियंता एससी वर्मा के खिलाफ विभागीय जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
क्या है मामला?
बालाघाट निवासी कृष्णकुमार ठकरे समेत छह अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। इन कर्मचारियों को 2000 में सेवा से निकाल दिया गया था। बाद में श्रम न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए पुनः सेवा में बहाल करने और नियमित करने का आदेश दिया था। लेकिन मुख्य अभियंता एससी वर्मा ने 19 सितंबर 2024 को आदेश जारी कर दावा किया कि याचिकाकर्ता नियमितिकरण के योग्य नहीं हैं।
कोर्ट ने अभियंता को बताया गुमराह करने का दोषी
सुनवाई के दौरान अभियंता ने वित्त विभाग के एक परिपत्र का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि सभी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया जा चुका है। लेकिन जब कोर्ट ने इस दावे की जांच की, तो पाया कि अभियंता कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं और उन्होंने जानबूझकर गलत जानकारी दी है।
“कोर्ट को मूर्ख समझते हो क्या?” – हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
एक दिन पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में टिप्पणी करते हुए कहा था, “क्या आप कोर्ट को मूर्ख समझते हैं?” अदालत ने PWD के इंजीनियर-इन-चीफ राजेंद्र मेहरा को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देने का निर्देश दिया था और पूरी फाइल लेकर 25 मार्च को पेश होने को कहा था।
60 दिन में आदेश लागू करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने 7 अक्टूबर 2016 की नीति को निरस्त कर याचिकाकर्ताओं को नियमितिकरण का लाभ देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता पहले ही श्रम न्यायालय से केस जीत चुके हैं, इसलिए उन्हें उमादेवी के न्याय दृष्टांत के तहत नियमित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह लाभ 60 दिनों के भीतर देने का निर्देश दिया था, लेकिन समय सीमा बीत जाने के बावजूद आदेश का पालन नहीं हुआ, जिससे मजबूर होकर याचिकाकर्ताओं को अवमानना याचिका दायर करनी पड़ी।
इंजीनियर-इन-चीफ को भी कोर्ट में पेश होना पड़ा
25 मार्च को हुई सुनवाई में PWD के इंजीनियर-इन-चीफ कृष्ण पाल सिंह राणा भी कोर्ट में पेश हुए। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो आगे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट का सख्त संदेश
हाईकोर्ट का यह फैसला भ्रष्टाचार और लापरवाही बरतने वाले सरकारी अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश है। कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर पूर्व आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है और यदि ऐसा नहीं हुआ, तो इंजीनियर-इन-चीफ को अगली सुनवाई में फिर से पेश होना पड़ेगा।