सागर में जैन तीर्थ क्षेत्र ‘सागरोदय’ के निर्माण पर कोर्ट का स्टे
सागर। जिला न्यायालय ने कोतवाली थाने अन्तर्गत क्षेत्र में प्रस्तावित जैन तीर्थ क्षेत्र ‘सागरोदय’ के निर्माण स्थल पर स्टे लगने की खबर सामने आई हैं। चतुर्थ व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खंड सागर की पीठासीन अधिकारी श्रीमती मीनू पचौरी दुबे ने 25 मार्च को यह आदेश जारी किया।
क्या है मामला?
लुहार गली, बड़ा बाजार निवासी हरीश विश्वकर्मा और रामप्रसाद विश्वकर्मा ने एडवोकेट रामगोपाल उपाध्याय के माध्यम से जनवरी 2025 में केस दायर किया था। उन्होंने सुभाष मोदी और सुमित मोदी को पक्षकार बनाते हुए आरोप लगाया कि 20 दिसंबर 2024 को कुछ नकाबपोश गुंडों ने उनके मकान नंबर 188 को तोड़ दिया और उनके साथ मारपीट की। पुलिस में शिकायत करने पर मामूली धाराओं में केस दर्ज हुआ, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
विश्वकर्मा बंधुओं के आरोप
राजनीतिक संरक्षण और धनबल के जरिए प्रतिवादी जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। हमला और हिंसा में कुछ लोग घायल हुए, एक मंदिर भी क्षतिग्रस्त हुआ। शहर में दो-तीन दिन तनावपूर्ण हालात रहे, जिसके बाद शांति समिति की बैठक में मामला दबा दिया गया।
ट्रस्ट का पक्ष
सुनवाई के दौरान सुभाष मोदी और सुमित मोदी ने दलील दी कि विश्वकर्मा बंधुओं के पास मकान या भूमि के कोई दस्तावेज नहीं हैं। विवादित भूमि श्री देव पारसनाथ मंदिर और श्री देव आदिनाथ मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति है। ट्रस्ट शासन से रजिस्टर्ड है और मोदी परिवार का ट्रस्ट की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। विश्वकर्मा बंधु गलत तरीके से उन्हें पक्षकार बनाकर परेशान कर रहे हैं।
प्रस्तुत किए गए साक्ष्य
एड. उपाध्याय ने नगर निगम की संपत्ति कर रसीदें, बिजली बिल, मीडिया रिपोर्ट्स पेश कर मकान पर स्वामित्व का दावा किया।
मोदी बंधुओं ने
भूमि की खरीद और ट्रस्ट को दान करने संबंधी दस्तावेज सौंपे।
कोर्ट का फैसला
न्यायालय ने पाया कि विश्वकर्मा बंधुओं द्वारा पेश साक्ष्यों से उनके मकान पर जबरन कब्जा करने की कोशिश हो रही थी।
वादी पक्ष का विधिक आधिपत्य साबित हुआ।
कोर्ट ने स्टे मंजूर करते हुए सुभाष मोदी और सुमित मोदी को विवादित मकान पर कोई हस्तक्षेप न करने का आदेश दिया।