कैंट सिविल एरिया का निगम में विलय चर्चा में, सांसद बोलीं-प्रक्रिया आगे बढ़ाने रक्षा मंत्री से मिलेंगे
सागर समेत देश की विभिन्न छावनियों को आसपास के निकायों में विलय की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है। अलग-अलग राज्यों में चुनावों के कारण मामला अटका था। अब एक बार फिर से सागर कैंट के सिविल एरिया का नगर निगम में विलय किए जाने की चर्चा तेज हो गई है। इस बार सागर लोकसभा की सांसद डॉ.लता वानखेड़े ने इसमें रुचि दिखाई है।उन्होंने कहा कि वे मर्जर को लेकर जल्द ही जनप्रतिनिधियों के साथ दिल्ली में रक्षामंत्री से बात करेंगी। कैंट के लोगों के विकास के लिए जरूरी है। पूर्व में कैंट बोर्ड की बैठक में सागर कलेक्टर के प्रस्ताव को अक्षरश लागू करने पर अभिमत दिया गया था। पूरा मामला कैंट की एग्रीकल्चर,बंगला व खाली जमीन को लेकर उलझा हुआ है। इस पर ऑल इंडिया कैंटोनमेंट बोर्ड यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वीरेंद्र पटेल ने बताया कि पूर्व में उप्र की बबीना, फतेहगढ़, मथुरा, शाहजहांपुर, उत्तराखंड की क्लेमेंट टाउन, देहरादून नसीराबाद, राजस्थान की अजमेर, महाराष्ट्र की देवलाली और झारखंड की रामगढ़ छावनी का भी स्थानीय नगरीय निकाय में शामिल करने का राजपत्र जारी किया गया था। यह प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है। वीरेंद्र पटेल ने बताया कि दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के शपथ समारोह में यूनियन के पदाधिकारी शामिल हुए थे। इसके बाद पदाधिकारियों की बैठक में मर्जर को लेकर भी चर्चा की गई। सभी ने एकमत से इस पर रक्षा मंत्री से चर्चा करने की बात कही। वीरेंद्र पटेल ने बताया कि सागर समेत प्रदेश की पांच छावनियों को नगरीय निकाय में शामिल करने का प्रस्ताव है। इसमें सागर, जबलपुर, मऊ,पचमढ़ी व मुरार कैंट शामिल हैं कैंट बोर्ड की पूर्व उपाध्यक्ष पूनम पटेल ने काफी पहले कैंट के किसानों को जमीन का हक दिलाने के लिए आवाज उठाई थी। इसके बाद इस संबंध में कानून बना। केंद्र सरकार का मर्जर का निर्णय यहां के रहवासियों को मूलभूत सुविधाएं और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने में मील का पत्थर बनेगा। जनहित और विकास की दृष्टि से रक्षा भूमि व फ्री होल्ड बंगले को लेकर सामंजस्य बनाकर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जरूरत है।