MP: भोपाल में साम्य न्याय प्रदान करता मध्यस्थता केंद्र

मध्य प्रदेश भोपाल में साम्य न्याय प्रदान करता मध्यस्थता केंद्र

भोपाल। डॉ. प्रतिभा राजगोपाल द्वारा मध्यप्रदेश के भोपाल में पहला मध्यस्थता केंद्र जो मध्यस्थता अधिनियम 2023 के अंतर्गत निम्न लक्ष्य को ध्यान में रखकर भोपाल स्थित मारूति नंदन काम्पलेक्स मे तेजी से विवादों का निराकरण कर रहा है , सहयोगी अधिवक्ता सुशील कुमार जी ने बताया कि मध्यस्थता केन्द्र के माध्यम से हम इन सभी लाभों को प्राप्त कर सकते है

• शीघ्र न्याय एवं कम खर्चीली व्यवस्था

• विधिक मध्यस्थ्ता

• गोपनीयता

• दोनों पक्षों का रचनात्मक लाभ

* दोनों पक्षों में प्रभावी संवाद

• कुशल विवाद समाधान

• समान हितों का संरक्षण

• सरल एवं लचीली व्यवस्था

* न्यायालय के आदेश का प्रावधान

• विश्वास एवं रिश्तों को संरक्षण

• व्यवस्थित न्याय प्रणाली में सहयोग

* दोनों पक्षों के साथ विधिक सलाहाकार / वकील की उपस्थिति का प्रावधान

सहयोगी अधिवक्ता सुशील कुमार जी ने बताया कि मध्यस्थता केन्द्र की कार्यशैली को हम निम्न प्रकरणों के माध्यम से स्पष्ट रूप से समझ सकेंगे

केस 1
विनय ( परिवर्तित नाम ) शासकीय सेवा में तृतीय श्रेणी कर्मचारी है पत्नी विवाह के बाद से ही ग्रहणी है दोनों के विवाह हुए 20 वर्ष हो गए कुशल जीवन व्यतीत हो रहा था, फिर विनय को अचानक शराब की लत लग गई, पति पत्नि में झगड़ा, मतभेद हो गए बात तलाक तक पहुंच गई फिर आपको मध्यस्ता केन्द्र की जानकारी मिली,

मध्यस्ता केंद्र से वैकल्पिक समाधान निकाल दोनों से अलग-अलग और एक साथ बैठकर हुई मनोवैज्ञानिक और सामाजिक तरीकों से विचार हुआ, अपनी गलतियों का एहसास होने पर दोनों ने सकारात्मक निर्णय लिया कि हम साथ रहेंगे और बच्चों का भविष्य अच्छा बनाएंगे आज परिवार खुशहाल स्थिति में है विनय भी अब नीता और बच्चों का पूरा ख्याल रखते हैं।

केस 2
मीरा ( परिवर्तित नाम ) ने अपने पूर्व पति से तलाक लेने के बाद जिससे उसका एक 11 साल का बेटा है, राकेश( परिवर्तित नाम ) से विवाह किया दूसरे विवाह से उसकी एक बेटी हुई राकेश अपनी पत्नी मीरा के साथ अपनी मां के ही घर के एक हिस्से में रहते हैं, जहां की आए दिन उनकी पत्नी मीरा का अपनी सास, नंद ,देवर सबसे झगड़ा होता रहता था।

इस प्रकरण में मध्यस्थता केंद्र ने मध्यस्थता के लिए पहले मीरा और उसके ससुराल के लोगों को बुलाया गया, उनमें आपस में विवाद के निराकरण के लिए मनोवैज्ञानिक और विधिक दृष्टि से हर पहलू को समझाया गया,उसके बाद पति-पत्नी के मध्य विवाद का समाधान किया गया और आज वह एक खुशहाल सुखी परिवार हो गया और अब बच्चे भी खुश हैं ।

केस 3
आशुतोष शर्मा ( परिवर्तित नाम ) प्रथम श्रेणी के अधिकारी थे, उनके बच्चों लड़की अंशिका ( परिवर्तित नाम ) अपना बुटीक चलती थी, भाई आयुष ( परिवर्तित नाम ) ऑस्ट्रेलिया में नौकरी करता था, दोनों के मध्य आशुतोष शर्मा ओर उनकी धर्मपत्नी की मृत्यु उपरांत संपति को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया,भाई ने बहन को कोई संपत्ति नहीं दी और चुपचाप मकान बेचने का सौदा कर लिया।
अंशिका को मध्यस्थता केंद्र के बारे में किसी ने बताया तो मध्यस्थता केंद्र से संपर्क कर पुरी बात बताई तब भाई आयुष को बुलाया गया ,दोनों से बात कर मेडिएशन के माध्यम से विकल्पों पर विचार किया गया और भाई को यह समझाया गया कि दोनों का हक समान है तो भाई ने अपनी बहन को मकान से लगी हुई जमीन दी उसकी रजिस्ट्री कराई और साथ में 2 लाख रुपए कैश दिए इस तरह 2 साल से चल रहे विवाद का अंत हुआ ।

इस प्रकार मध्यस्थता के माध्यम से केन्द्र में विवाह सम्बन्धी विवादों, व्यक्तिगत विवादों, उत्तराधिकार दो संस्थाओं के मध्य में वाणिज्यक विवाद, लेन-देन से सम्बन्धित विवादों का समाधान, नेगोशियेसन स्किल, संवाद कौशल, मनोवैज्ञानिक दृष्टि से विधिक आधार पर किया जाता है। विषय एवं विधिक विशेषज्ञों की भूमिका भी है। उचित समाधान के बाद विधिक न्यायालिक अधिकृति का प्रावधान होता है।

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