गुलाब मय हुआ सागर, 17 वां वार्षिक उत्सव शहर में पालकी यात्रा निकली
सागर। निप्र श्री गुलाब बाबा मंदिर सागर के 17वें वार्षिक उत्सव की हर वर्ष के समान श्री गुलाब बाबा चरण पादुका पालकी रथयात्रा आज सुबह 11:32 पर श्री गुलाब बाबा मंदिर से आरंभ होकर राहतगढ़ बस स्टेण्ड, भगवानगंज, कटरा, सराफा होकर सांयकालीन बेला में मंदिर लौटी। सागर के साथ संपूर्ण बुंदेलखण्ड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ से आये भक्तों ने गोपाला जय गोपाला, श्री गुलाब बाबा गोपाला की धुनों पर अपने गुरूदेव के उत्सव को फूलों की बौछार स्वागत सत्कार से सागर को भक्ति मय बना दिया।
श्री गुलाब बाबा चरण पादुका रथ को अत्यंत ही मनमोहक तरीके से सजा कर आगे भक्त झाडू लगाकर सड़क साफ कर रहे थे, तो बैण्ड-ढोल की धुनों पर महिला-पुरूष भक्त नृत्य करते हुए चल रहे थे। मातृशक्ति ने आज मराठी तरीकों से लेक्षम लाठी का प्रदर्शन कर आत्म रक्षा का भी प्रदर्शन किया। इस पूरी यात्रा में विशेष अकर्षण नाथद्वारा के भगवान कृष्ण की जावंत छबि थी, तो आगे रथ में श्री बाबाजी की फोटो स्वरूप में दर्शन दे रहे थे। मंदिर प्रबंधन के अध्यक्ष डॉ. भरत आनंद वाखले एवं सचिव श्याम सोनी ने बताया कि हमेशा की तरह शोभायात्रा में स्वागत के पश्चात फेंकी सामग्री को हमारे भक्त तो इकट्ठा करते ही है, पर इस बार नगर निगम सागर ने भी स्वच्छता का संदेश देकर यात्रा के पीछे कचरा गाड़ी एवं सफाई कर्मचारी भी लगायें थे। संपूर्ण पुलिस प्रशासन के साथ स्वयं सेवक करीब 2 कि.मी. लंबी इस शोभायात्रा की व्यवस्था संभाले हुये था।
सायंकालीन बेला में शोभायात्रा के मंदिर में प्रवेश पर मंदिर ट्रस्ट ने चरण पादुका की बहुत ही सुंदर एवं सनातनी पद्धति से आरती कर चरण पादुका रथ को पुनः गुलाब पीठ पर स्थापित किया। श्री गुलाब बाबा की मंशानुरूप भजन एवं भोजन हेतु रात्रि में श्री राधे राधे संकीर्तन मण्डल ने अपनी प्रस्तुति देकर भक्तों को खूब भक्तिमय नाच कराया। भोजन हेतु मंदिर ट्रस्ट ने भंडारे का आयोजन किया जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की।
उपाध्यक्ष डालचंद पटेल (लंबरदार) एवं व्यवस्थापन के महेन्द्र सोनी (अध्यक्ष श्री गुलाब बाबा मंदिर बांसा दमोह) ने बताया कि हर वर्ष के समान गुरूवार 5 दिसम्बर को भंडारा के साथ दिन में बुंदेलखण्ड की गायक कलाकारों की प्रस्तुतियां होगी एवं शाम को विजय ठाकुर (पडरिया) की भजन संध्या के साथ रात्रि 12 बजे चरण पादुका पालकी को श्री गुलाब बाबा मंदिर में लाकर आरती पश्चात वार्षिक उत्सव का समापन होगा।