मुख्यमंत्री मोहन यादव सागर में चकराघाट पर गंगा आरती में शामिल होकर करेंगे दीपदान

मुख्यमंत्री मोहन यादव चकराघाट पर गंगा आरती में शामिल होकर करेंगे दीपदान

धार्मिक आस्था का केंद्र लाखा बंजारा झील किनारे गंगा आरती की परम्परा द्वारा ऐतिहासिक धरोहर, जल संरचनाओं को संरक्षित करने का संदेश दिया जा रहा

सागर। सागर जिले में ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील किनारे प्राचीन धार्मिक आस्था के केंद्र चकराघाट से गणेश घाट तक विभिन्न घाटों पर नगर निगम एवं स्मार्ट सिटी द्वारा 12 अगस्त 2024 से प्रारंभ की गई गंगा आरती प्रत्येक सोमवार को की जा रही है। जल संरक्षण के इस महत्वपूर्ण अभियान को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जनप्रतिनिधियों सहित सोमवार को चकराघाट के पास नवग्रह मंडपम के सामने शाम 5 बजे से प्रारम्भ होने वाली भव्य गंगा आरती में शामिल होंगे और दीपदान के माध्यम से झील के संरक्षण का संदेश देंगे। सागर झील किनारे इस गंगा आरती के ऐतिहासिक आयोजन में शामिल होकर माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा नागरिकों को प्राचीन जल स्रोतों के संरक्षण हेतु प्रेरित किया जायेगा।

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भारतीय परम्परा में प्रकृति को देवतुल्य मानकर पूजा अर्चना की है परम्परा

सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा सुंदर कायाकल्प पुनर्विकास एवं सौन्दर्यीकरण कार्यों से झील का मनमोहक स्वरूप देखने मिल रहा है। इसके किनारे स्वच्छता जागरूकता हेतु नेशनल क्लीन एअर प्रोग्राम अंतर्गत प्रारम्भ गंगा आरती सागर की प्राचीन झील को संरक्षित करने की प्रेरणा का प्रतीक बन गई है। क्योंकि हमारे धार्मिक शास्त्रों में जल को पंच तत्वों में से एक माना गया है और भारतीय परंपरा में जल से बनी संरचनाओं, जैसे नदियों, तालाबों और झीलों को देवतुल्य मानते हुए उनकी पूजा और आरती करने की परंपरा है। यह परंपरा न केवल जल के प्रति सम्मान को दर्शाती है, बल्कि यह जीवन के लिए जल के महत्व और इसके संरक्षण का संदेश भी देती है।नगर निगम द्वारा चकराघाट पर गंगा आरती की परंपरा का मुख्य उद्देश्य प्राचीन जल संरचनाओं को संरक्षित करना और उनकी स्वच्छता व सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। सागर झील जो सागर शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश व देश की प्राचीनतम जल संरचनाओं में से एक है,जो धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखती है उस झील किनारे स्थित घाटों पर देवी-देवताओं के अनेक प्राचीन मंदिर स्थित हैं उन स्थलों पर गंगा आरती करने से न केवल आस्था और श्रद्धा जागृत होती है, बल्कि जल संरक्षण और संवर्धन का भी महत्वपूर्ण संदेश मिलता है।

जल संरचना का संरक्षण करना एक सामूहिक जिम्मेदारी

गंगा आरती के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास है कि लाखा बंजारा झील केवल एक प्राकृतिक जल संरचना नहीं, बल्कि हमारी प्राचीन धरोहर भी है इसलिए आरती के माध्यम से नागरिकों को प्रेरित करने का कार्य कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित जल संरचनाओं का संरक्षण करें क्योंकि जलवायु परिवर्तन और घटते जल स्रोतों के इस दौर में जल संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है।

आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत- चकराघाट की गंगा आरती न केवल धार्मिक परंपराओं को सहेजने का प्रयास है, बल्कि यह युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है क्योंकि इस आयोजन के जरिए नई पीढ़ी को प्राचीन मंदिरों, घाटों और जल संरचनाओं के ऐतिहासिक महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है और यह संदेश दिया जा रहा है कि इन संरचनाओं की देखभाल केवल वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी इसे संरक्षित करना आवश्यक है।

दीपदान का महत्व- गंगा आरती के दौरान दीपदान का विशेष महत्व है यह न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह यह दर्शाता है कि हमारी जल संरचनाओं को भी वही महत्व दिया जाना चाहिए जो हम अन्य देवताओं को देते हैं दीपदान के माध्यम से यह संदेश देना है कि जल संरचनाओं का संरक्षण और संवर्धन केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
स्थानीय समुदाय की भागीदारी- चकराघाट पर गंगा आरती में स्थानीय समुदाय का भी योगदान है स्थानीय नागरिक, मंदिर समिति और स्वयंसेवी संगठन मिलकर इस परंपरा को सफल बना रहे हैं। यह आयोजन समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर रहा है और जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक बना रहा है।
आस्था और प्रकृति का संतुलन– गंगा आरती के माध्यम से जल संरक्षण और झील के प्रति आस्था
का गहरा संबंध है, यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि जल प्रकृति का वह अमूल्य उपहार है जिसे संरक्षित करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा भी है।

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