शीत लहर से मानव स्वास्थ्य पर होन वाले दुष्प्रभाव एवं उनके नियंत्रण हेतु दिशा-निर्देश

शीत लहर से मानव स्वास्थ्य पर होन वाले दुष्प्रभाव एवं उनके नियंत्रण हेतु दिशा-निर्देश

सागर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरी ने शीतलहर से बचाव संबंधी शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशानुसार शीत ऋतु मे वातावरण का तापमान अत्यधिक कम होने (शीतलहर के कारण मानव स्वास्थ्य पर अनेक विपरीत प्रभाव जैसे- सर्दी, जुकाम, बुखार, निमोनिया, त्वचा रोग, फेफड़ों में संक्रमण, हाइपोथर्मिया, अस्थमा, एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती है एवं यदि समय पर नियंत्रण न किया जाये, तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है। प्रभावों से पूर्व बचाव हेतु समय अनुसार उचित कार्यवाही की जाने की स्थिति में प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है।
प्रभावी शीत लहर प्रबंधन हेतु निम्नलिखित बिंदुओं को दृष्टिगत रखा जाकर शीत धात की आपदा के समय होने वाले रोगों से आमजन को सुरक्षित रखा जा सकता है।
शीत लहर क्या है- यदि किसी स्थान पर एक दिन या 24 घंटे में औसत तापमान मे तेजी से गिरावट होती है एवं हवा बहुत ठंडी हो जाती है उस स्थिति को शीत लहर कहते है ।
शीत लहर की आशंका होने पर स्थानीय मौसम पूर्व अनुमान के लिये रेडिया / टीबी / समाचार पत्रों जैसे मीडिया प्रकाशन का ध्यान रखे, फ्लू, बुखार, नाक बहना, भरीनाक, बंद नाक जैसी विभिन्न बीमारी की संभावना आमतौर पर ठंड में लम्बे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं अतः आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकले, शीतलहर में दीर्घकालिक बीमारियां जैसे-डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वांस संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्धजन, 05 साल से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं।
शीतघात के दौरान शरीर को सूखा रखें शरीर के गर्माहट बनायें रखने हेतु अपने सिर, गर्दन, कान, नाक, हाथ, पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से रखें। शरीर को गर्म बनाये रखने के लिये टोपी, हेड, मफलर, जल रोधी जूतो को उपयोग करे, स्वास्थ्य वर्धक गर्म भोजन को सेवन करे। शीत प्रकृति के भोजन से दुर रहे। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती विटामिन सी से भरपूर ताजे फल खाये गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पिये
बुजुर्ग, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का यथा संभव अधिक ध्यान रखें।, शीत लहर के संपर्क मे आने पर शीत से प्रभावित अंगो के लक्षणों जैसे संवेदनशून्यता सफेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उंगलियां, कान की लौ तथा नाक की उपरी सतह का ध्यान रखें। अचेतावस्था में किसी व्यक्ति को कोई तरल पदार्थ न दे, शीत से प्रभावित अंगों को गुनगने पानी से इलाज करे। कंपकपी, बोलने में दिक्कत, अनिद्रा, मांसपेशियों की जकड़न, सांस लेने मे दिक्कत की अवस्था हो सकती है। जिसका तत्काल चिकित्सीय उपचार लेवे।
डॉ. ममता तिमोरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सागर ने आमजनों से अपील हैं कि उक्त सुझावों का पालन करें, अपनी तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा की देखभाल करें ।

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