डॉ. हरि सिंह गौर को भारत रत्न दिलाने सागरवासियों का ऐतिहासिक प्रयास, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
सागर, मध्यप्रदेश – मध्यप्रदेश के महान शिक्षाविद, कानूनविद और समाजसेवी डॉ. हरि सिंह गौर को भारत रत्न दिलाने की मांग को लेकर सागरवासियों ने आज (25 नवंबर) इतिहास रच दिया। 6.5 किलोमीटर लंबी गेंदे की फूल माला अर्पित कर सागर ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। यह माला डॉ. गौर की प्रतिमा से विश्वविद्यालय स्थित गौर प्रतिमा तक अर्पित की गई। इससे पहले यह रिकॉर्ड बेंगलुरु के नाम था, जहां 5 किलोमीटर लंबी माला बनाई गई थी।
265 संगठनों की सहभागिता से बनी 6.5 किमी लंबी माला
इस ऐतिहासिक आयोजन का नेतृत्व दैनिक भास्कर ने किया। अभियान में 265 संगठनों ने भाग लिया, जिनमें विश्वविद्यालय, स्कूल-कॉलेज, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और महिला संगठन शामिल रहे। इस माला को 15 क्विंटल गेंदा फूलों से दो दिन की मेहनत में तैयार किया गया।
डॉ. गौर को भारत रत्न दिलाने का जनसमर्थन
सांसद लता वानखेड़े ने इस पहल को “सागर का गौरव” बताते हुए कहा, “यह प्रयास हमारी मांग को और सशक्त करेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि डॉ. गौर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।”
वहीं, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा, “डॉ. गौर ने सागर विश्वविद्यालय की स्थापना कर लाखों जीवन संवारे हैं। उनका भारत रत्न पाना पूरे देश का सम्मान होगा।”
डॉ. गौर के योगदान का स्मरण
डॉ. हरि सिंह गौर का जीवन शिक्षा, कानून और समाज सुधार को समर्पित रहा।
1946 में अपने जीवनभर की संपत्ति दान कर सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की।
महिलाओं को वकालत का अधिकार दिलाने और उनकी विवाह की आयु बढ़ाने के लिए विधेयक लाए।
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना और अंतरजातीय विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
1921 में दिल्ली विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे।
दक्षिण भारत में देवदासी प्रथा का विरोध कर इसे समाप्त करने में योगदान दिया।
सागर वासियों का संकल्प
सागर के समाजसेवी अनिल गुप्ता ने कहा, “डॉ. गौर हमारे लिए पहले से भारत रत्न हैं, लेकिन इस अभियान का लक्ष्य है कि उन्हें औपचारिक रूप से यह सम्मान मिले।”
रिटायर्ड प्रोफेसर के. कृष्णा राव ने अभियान को सागर की जनता की आवाज बताया और इसे सफल होने तक जारी रखने की कामना की।
इतिहास में दर्ज होगा सागर का नाम
सागर के लोगों ने मानव श्रृंखला के माध्यम से यह संदेश दिया कि डॉ. गौर का योगदान देश के लिए अमूल्य है। उनके प्रयासों ने सागर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है।
यह अनूठी पहल न केवल डॉ. हरि सिंह गौर के प्रति श्रद्धांजलि है, बल्कि उनके कार्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक प्रयास भी है।