सहोद्रा राय पॉलीटेक्निक के विध्यार्थियों ने अत्याधुनिक तकनीक से प्रोजेक्ट्स बनाये

सहोद्रा राय पॉलीटेक्निक के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के विध्यार्थियों ने अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से तैयार किये प्रोजेक्ट्स

सागर। सहोद्रा राय शासकीय पॉलीटेक्निक महाविद्यालय  में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के अंतिम वर्ष की विद्यार्थियों ने अत्याधुनिक तकनीक, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग एवं डीप लर्निंग तकनीक पर आधारित रियल टाइम में ऑटोमेटिव तरीके से प्रोसेस होने वाले प्रोजेक्ट्स महाविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ. मयंक कुमार रुसिया एवं अन्य व्याख्याताओं के मार्गदर्शन में बनाये।

इन प्रोजेक्ट्स में मुख्यतः
1. “मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके लक्षण-आधारित एकाधिक रोग जांच प्रणाली”
2. “भारतीय परिदृश्य के संदर्भ में ट्रैफिक साइन को पहचानने के लिए एक स्वचालित डीप न्यूरल नेटवर्क आधारित मॉडल”
3. “वाहन दुर्घटना का पता लगाने के संदर्भ में ए.आई.-आधारित स्वायत्त सुरक्षा निगरानी प्रणाली”
4. “डीप न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करके मल्टीमॉडल बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण प्रणाली”
5. “डीप लर्निंग आधारित योग मुद्रा छवि वर्गीकरण प्रणाली”
6. “पायथन का उपयोग कर एडवांस डीप लर्निंग आधारित सोशल डिस्टेंस डिटेक्शन सिस्टम”
शामिल हैं।

इन रियल- टाइम प्रोजेक्ट्स का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है
1. “मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके लक्षण-आधारित एकाधिक रोग जांच प्रणाली”-
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य विभिन्न प्रचलित गंभीर रोगों (बीमारियों) जैसे मधुमेह, हृदय, और मानसिक रोग में रोगी के व्यवहारिक और शरीरिक लक्षणों के टेक्स्ट डाटा को मशीन लर्निंग आधारित एल्गोरिथम का उचित संयोजन कर समझना और सही वर्गीकरण करना है। यह प्रोजेक्ट मेडिकल साइंस के लिए वरदान साबित हो सकता है। वर्तमान में इस प्रोजेक्ट में Kaggle और UML रिपोजिटरी में उपलब्ध बेंचमार्क डाटासेट पर परीक्षण किया गया है, जिसके प्रभावी परिणाम प्राप्त हुए हैं।

2. “भारतीय परिदृश्य के संदर्भ में ट्रैफिक साइन को पहचानने के लिए एक स्वचालित डीप न्यूरल नेटवर्क आधारित मॉडल ”
इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य डीप न्यूरल नेटवर्क मॉडल का उपयोग करके विभिन्न भारतीय परिद्रश्य में ट्रैफिक साइन को डिटेक्ट करना और पहचान करके वर्गीकृत करना है, इस प्रोजेक्ट में 10 प्रकार के मुख्य ट्रैफिक sign को चिंहित कर उनका अलग अलग इमेज डाटासेट तैयार किया गया, जिसे डीप लर्निंग मॉडल पर ट्रेनिंग और ट्युनिंग देकर, रियल टाइम में बेहतर रिसल्ट प्राप्त किये गए। यह प्रोजेक्ट विशेष कर इंडियन ट्रेफिक साइन रेकॉग्निशन सिस्टम में काफी मददगार साबित हो सकता है। विभिन्न आधुनिक स्टेट और नेशनल हाईवेज पर ट्रैफिक सिग्नल्स के बारे में किसी वाहन चालक की अंभिज्ञता, थकान के कारण झपकी लगने पर, एवं ट्रैफिक sign की दृश्यता अस्पष्ट होने पर भी किसी भी वाहन की विंडशील्ड पर स्थापित कैमरा आधारित ऑटोनॉमस सिस्टम वाहन चालक को डिस्प्ले और वॉइस कमांड के माध्यम से अलर्ट/संदेश देगा, और दिन प्रतिदिन बढ़ रहे एक्सीडेंट्स को रोकने एवं कम करने में मददगार सिद्ध होगा।

3. “वाहन दुर्घटना का पता लगाने के संदर्भ में ए.आई.-आधारित स्वायत्त सुरक्षा निगरानी प्रणाली”
आज के युग में बड़ती वाहन दुर्घटनाओं को देखते हुए, वाहन सवार की सुरक्षा एवं तत्काल उपचार शासन/प्रशासन की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बनती जा रही है। अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ऑटोनॉमस सिक्योरिटी सर्विलेंस सिस्टम के इस प्रोजेक्ट के माध्यम से किसी क्षेत्र विशेष में वाहन संबंधी दुर्घटना होने पर व्हीकल क्रैश डिटेक्शन सिस्टम के माध्यम से उस क्षेत्र की दुर्घटनाग्रसित वाहनों को डिटेक्ट कर एवं पहचान कर, उस क्रैश (घटना स्थल) की रियल टाइम फोटो सहित लोकेशन, निकटतम पुलिस कंट्रोल रूम या हॉस्पिटल को ईमेल के माध्यम से भेजी जा सकती है। जिससे संबंधित को तत्काल राहत पहुँचा कर जीवन सुरक्षित किया जा सके। विधार्थियों द्वारा तैयार किये गए इस प्रोजेक्ट में डीप न्यूरल नेटवर्क कस्टमायजड कंवोल्यूशन न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर का उपयोग किया गया है जो की टू व्हीलर से टू व्हीलर टू व्हीलर से फोर व्हीलर एवं फोर व्हीलर से फोर व्हीलर का एक्सीडेंट होने पर सर्विलांस के माध्यम से उन्हें पहचान कर संबंधित कंट्रोल रूम में सूचनाओं प्रेषित करने में सक्षम है।

4. “डीप न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करके मल्टीमॉडल बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण प्रणाली”
इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य विभिन्न बायोमेट्रिक ट्रेट्स जैसे QR कोड, फेस रेकॉग्निशन, फिंगर प्रिंट के माध्यम से किसी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करना है। अभी तक प्रचलित वीडियो में फेस आधारित और फिंगरप्रिंट आधारित वेरिफिकेशन सिस्टम्स बनाया जा चुके हैं, परंतु इस तरह के वेरिफिकेशन सिस्टम तकनीकी रूप से फेस स्पूफिंग और फिंगरप्रिंट स्पूफिंग जैसी जटिल समस्याओं से ग्रसित होते हैं। इन जटिल समस्याओं के निवारण के लिए प्रथम चरण में क्यू .आर. कोड वेरिफिकेशन, द्वितीय चरण में आई ब्लिंकिंग डिटेक्शन बेस्ड फेस रिकॉग्निशन के द्वारा और तृतीय चरण में फिंगरप्रिंट रिकॉग्निशन जैसे सशक्त डीप न्यूरल नेटवर्क बैस्ड मॉडल के माध्यम से किसी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करने के लिए यह प्रोजेक्ट विध्यार्थियों के द्वारा बनाया गया है इस प्रोजेक्ट में स्पूफिंग की परेशानी का पूर्णतः निवारण करने का प्रयास किया गया है। जैसा की इस महाविद्यालय के विद्यार्थियों को क्यूआर कोड आधारित आइडेंटी कार्ड प्रदान किए गए हैं, इन आइडेंटी कार्ड में क्यू. आर. कोड के आधार पर किसी विद्यार्थी की प्राथमिक पहचान सुनिश्चित की गयी है, जिसके आधार पर संबंधित स्टूडेंट का डाटाबेस एक्सिस किया गया है, इस डाटाबेस में स्टूडेंट्स का रिकॉर्ड, उसके चेहरे और फिंगर प्रिंट की इमैजेस हैं जिन्हें डीप न्यूरल नेटवर्क पर ट्रेनिंग दी गयी है। इसमें फेस स्पूफिंग से बचने के लिए आंखों की पलकों को निश्चित संख्या में झपकते हुए स्टेबल मोड में फेस कैप्चर के माध्यम से फीस रिकॉग्निशन किया गया है, एवं फिंगरप्रिंट के माध्यम से तृतीय चरण का वेरिफिकेशन भी इस प्रोजेक्ट में समाहित किया गया है तीन तरह के अलग-अलग बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन अच्छी गुणवत्ता के साथ होने के कारण यह प्रोजेक्ट काफी सुरक्षित है। इस प्रोजेक्ट का उपयोग किसी भी शैक्षणिक संस्थान में स्टूडेंट अटेंडेंस मॉनिटरिंग सिस्टम के लिए अथवा किसी संस्था में एम्पलाई अटेंडेंस मॉनिटरिंग सिस्टम में किया जा सकता है।

5. “डीप लर्निंग आधारित योग मुद्रा छवि वर्गीकरण प्रणाली”
आज के समय में योग एक महत्वपूर्ण शारीरिक क्रिया है जिसके माध्यम से शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी बनाया जा सकता है इसी दिशा में डीप कंवोलूशनल न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करके मशीन द्वारा विभिन्न योग क्रियाओं को करने की सही स्थिति एवं चरण पहचान कर इंगित करने के उद्देश्य से यह प्रोजेक्ट विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया। इस प्रोजेक्ट के अनुप्रयोगों से मशीन के माध्यम से योग प्रशिक्षण देने, सही क्रिया का पता लगाने एवं योग के गलत जेस्चर्स से होने वाले नुकसान से बचाने की दिशा में अधिक सार्थक प्रयास होगा। इसमें 05 मुख्य योगा पोज का विभिन्न इमैजेस् का एक बड़ा डाटा सेट स्व-प्रयासों से कलेक्ट किया गया, जिस पर डीप लर्निंग अप्रोच लगाके बेहतर रिसल्ट प्राप्त हुआ।

6. “पायथन का उपयोग कर एडवांस डीप लर्निंग आधारित सोशल डिस्टेंस डिटेक्शन सिस्टम”
कोविड-2019 के गंभीर बायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए व्यक्तियों के मध्य आपसी दूरी कम से कम 2 गज की दूरी रखे जाने के निर्देश दिये गए थे। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए डीप लर्निंग मॉडल आधारित एक सोशल डिस्टेंसिंग डिटेक्टर मॉडल बनाया गया, जो ना केवल दो व्यक्तियों के मध्य की दूरी को डिटेक्ट करता है, बल्कि सरविलायंस क्षेत्र में आने बाले हियुमंस की संख्या भी बताता है। अगर दो व्यक्तियों के बीच की दूरी 6 फीट से कम या एक स्थान पर निश्चित संख्या से अधिक व्यक्तियों का जमाबड़ा होने पर उपयुक्त दूरी ना होने या किसी अप्रिय स्थिति/दुर्घटना का वार्निंग मैसेज उपलब्ध कराता है। प्रोजेक्ट के इस मैथेमेटिकल मॉडल में हियुमन बॉडी के सेंटर पॉइंट को डिटेक्ट कर एवं उसे आधार मानकर डिस्टेंस मेज़र की गयी है।
कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मयंक कुमार रूसिया ने बताया कि RGPV के कुर्रिकुलम अनुसार अंतिम सेमेस्टर के विद्यार्थियों को machine learning and deep learning using python नाम का एक मुख्य विषय है, तो मेरी प्राथमिकता यही थी कि इस विषय को इतना डेप्थ में विद्यार्थियों को पढ़ाया जाए कि विषय के साथ अंतिम सेमेस्टर में उनके द्वारा बनाए जाने वाले प्रोजेक्ट में भी इसका समावेश हो जिससे स्टूडेंट्स इसे प्रैक्टिकली बेहतर तरीके से समझ सके और प्रैक्टिस कर सकें। जैसे सर्व विदित है कि आगे आने बाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी का है, और समयानुसार वही इंडस्ट्री की डिमांड भी रहेगी, इसीलिए स्टूडेंट्स के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मैंने विभागाध्यक्ष (CSE) और टी.पी.ओ. के अपने दायित्व को सार्थक बनाने के उद्देश्य से इसकी पहल की। मेरे साथ विभाग के शिक्षक इंजी. रेखा अहिरवार, इंजी. राजभान सिंह, इंजी. निर्मला सेन का भी योगदान रहा। यह प्रोजेक्ट निश्चित रूप से ही विद्यार्थियों को एक नई पहचान देगा और उन्हें भविष्य में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगा।
अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों का प्रोजेक्ट viva लेने पधारीं एक्सटर्नल एगजामिनर डॉ. शुभा सोनी, डॉ. हरी सिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी (इंजीनियरिंग बिंग) ने भी स्टूडेंट्स के काम की सराहना की और इसे निरंतर रखने की सलाह दी। संस्था के प्राचार्य डॉ. वाय. पी. सिंह सर ने भी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और आगे भी ऐसे ही विषय आधारित नवीनतम प्रॉब्लम को ढूढने और उनका समाधान आधुनिक तकनीक से निकालने की प्रेरणा दी।

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