रिश्तों को तार-तार कर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को सजा
सागर । रिश्तों को तार-तार कर नाबालिग के साथ दुष्कर्म़ करने वाले आरोपियों को भादवि की धारा- 376(3), 376(2)(एफ) के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा-506(भाग-2) भादवि के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड तथा पॉक्सों एक्ट, 2012 की धारा- 5एल/6 व 5 (जे)(आई आई)/6, धारा-17 के तहत पृथक-पृथक धाराओं में आजीवन सश्रम कारावास एवं दो-दो हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत नेे दंडित किया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/पीड़िता ने दिनांक 30.12.2022 को महिला थाना जिला सागर में इस आषय की रिपोर्ट लेख कराई कि उसके माता-पिता का करीब 15 वर्ष पहले देहांत हो जाने के लगभग तीन माह बाद वह एवं उसकी छोटी बहन उसकी बड़ी बहन अभियुक्त ‘‘अ‘‘ के ससुराल में अभियुक्तगण के साथ रहने लगे और उसका बड़ा भाई भोपाल में रहने लगा था। बालिका की 12-13 वर्ष की आयु में उसके जीजा अभियुक्त ‘‘ब‘‘ के छोटे भाई अभियुक्त ‘‘स‘‘ ने पहली बार बालिका के साथ बुरा काम किया और इसके करीब 5-6 दिन बाद अभियुक्त ‘‘ब‘‘ ने उसे धमकी देकर उसके साथ जबरन बुरा काम किया। तत्पश्चात अभियुक्तगण ‘ब‘‘ एवं ‘‘स‘‘ बालिका के साथ लगातार उसकी शादी के पहले तक बुरा काम करते रहे। बालिका उनका विरोध करती थी परन्तु उक्त अभियुक्तगण नहीं मानते थे जिससे बालिका गर्भवती हो गई थी तब अभियुक्तगण बालिका को लेकर गुजरात चले गये एवं जहॉ उन्होंने बालिका का प्रसव कराया और बालिका ने एक पुत्री को जन्म दिया जिसे अभियुक्त ‘‘स‘‘ के पास छोडकर मार्च 2022 में वह बालिका को राहतगढ़ लेकर आये और अभियुक्त ‘‘ब‘‘ एवं अभियुक्त ‘‘स‘‘ उसे घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने एवं घर से भगा देने की धमकी देते थे इसलिए डर के कारण उसने यह बात किसी को नहीं बताई, परंतु उसकी शादी के बाद उसने हिम्मत करके सारी बात उसके पति को बताई और उसके पति द्वारा उसका साथ देने पर उसने घटना की रिपोर्ट की। उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण विवेचना में लिया गया और अभियुक्तगण को गिरफ्तार कर उनके मेमोरेडम कथन लेख किये गये जिसमें विवेचना में अभियुक्त ’’अ’’ एवं ’’द’’ द्वारा अभियुक्तगण ’’ब’’ एवं ’’स’’ के साथ षड़यंत्र कर अपराध करना पाया गया जिस कारण प्रकरण में धारा- 201, 120बी का इजाफा किया गया । विवेचना के दौरान डीएनए परीक्षण कराया गया एवं संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्तगण के विरूद्ध धारा 376(3),376(2), (एन),376(2)(डी),376(2)(एफ),506, 34,201,120बी भा.दं.सं. एवं धारा 5एल/6, 3/4, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत अभियोग पत्र न्यायालय में पेष किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन, अभियुक्तगण के विरूद्ध मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित करने में सफल रहा । न्यायालय ने निर्णय पारित करते समय यह टिप्पणी की कि श्स्ंू ूपजीवनज श्रनेजपबम पे ं ूवनदक ूपजीवनज बनतमण्श् समाज में बलात्संग का अपराध सबसे जघन्य अपराध में से एक है तथा एक सुरक्षित समाज तब होता है जब वह बलात्कार मुक्त हो। इन परिस्थितियों में अभियुक्तगण को युक्तियुक्त रूप से कठोर दंड से दंडित करना न्यायोचित है। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपीगण कोदोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया।